विचार सागर | Vichar Sagar

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Vichar Sagar by सुर्यराम त्रिपाठी - Suryaram Tripathi

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र्ध विचारसागर. झक. «*भेन्य विद्वावना सिद्धान्तो साथे मेळची जननी- रं जनकयुक्त गृह भणी जवा इच्छे छे ..... .... ४९९.. शुभसंतति, पूर्वोक्त त्रणे पुत्नना पितानो प्रप्तंग .... ९००. मंदवैराग्यचं फल. उपास्यनी निज्ञासा. पंडितोनी सभा भरी कोण उपाप्तना करवा योग्य छे ते पूढे छे, अनेक देवना अनेक भक्तो पोतपोताना इष्देवनी प्रशा करे छे. ते जुदां जुदां मत सांभळी रानानी स्थिति... ५... «.. ९०९, झुमतंतति पिता अने तरदटि शुतननो मिय... ६१०. अनेक्र देवोविपे समाधान... . भस ९१३. पुराणवाक्यीमां विरोध भासे ७ तेठं समाधान .... ११६. कारणब्रह्मनी उपाप्तनानी रीति. सूर्विप्रतिपादननो .... अयित्रायः ८. आर जा ५१९. उत्तरमीमांता सर्वमां श्रेष्ठा ७४ अने उपर शकरकृत, भाष्य उत्तम छे. .... * दृष्ट ६५९६ ५९८ ५९९ दशर १११ ११३ ६१५ ६१७ ९२१-५२४. ब्रह्मविद्याई माहात्म्य. ते नहानाने महोटो करे छे.६ १९. ९२५, ज्ञानी व्यवहार केरे तो पण असंग रही शके छे.... ६२० १९६-९२७. ज्ञानी विदेहमुक्त थये ईश्वरमां एकता पामे छे .... .... - ६२१ विचारसागरनी खमासि--.... .... ... ६२२-६२३ सूचिपत्र-वेदान्तविचारन .... मळ बैक सूचिपत्र-विचारसागर्‍ठ .... मळ डिके डिप 3. - अ. मि चले म ९8 स्थात्मनिरूपणसारोद्धार .... .... ... « ६५६




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