सूत की माळा | Soot Ki Mala

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नः हड प्रथम पंक्ति पृष्ठ ४३--पेसी बेखबरी से कब कोई सोया हे ?-- टी ८४ ४४--गांधी में गांधी से बदू कर था गांधीपन $ ड ५ ४५--उनकी रक्षा होनी थी पहरेदांरों से , डु ५७ ४६--ग्रव मत सोचो किसने ग्रपनी मति खोई ८ ४७--थी उन्होंने कौनसी ग्राद्या जगाई ल ५१ “४८--वे कौन जाति का तस्व दबाए थे तन मे ट ६० ४६--ग्रच्छा ही हे मौज्‌द नहीं बा कस्तरा ह ६ १ ५०--कल तक कंधे पर भार लिए थे वे भारी र डे “५ १--हम उठ न सके उनके ऊंचे ग्रादर्शा तक टे ६४ ५२--ग्रौरंगजंब ने जब सूफी साध्‌ सरमद ६५ ५३--जब-जब कटिल हई भारत की र न ५४---रघूपति, राघव, राजा राम . ६७ ५५--यह रात देश की सब रातों से काली ट ६८ ५६--श्रब भीड़ बना तुम किसे देखने श्राए हो ्‌ ६६ ५७--वे भारत की दुर्दशा देखकर रोए ३ ७० ५८--म्राग्रो बापू के ग्रंतिम दर्शन कर जाग्रो र ७१ ५१--वीभत्स वदन सवका मरन पर हो जाता स ७४ ६०--जिस संध्या को बाप जी का वलिदान हग्रा र ७५ ६१--राम हरं, ह राम हरे 3७ ६२--यह कौन चाहता हे बाप जी की काया क ७८ ६३--पावन जमना का ग्राया लोटे भर पानी ५ ० ६४--ग्रब ग्रद्धंरात्रि हे ग्रौर ग्रद्धंजल बला र य? ६५--बंदीखाने में बा जब स्वग सिधारी र ८२ ६६--यह बापू जी की उज्ज्वल निर्मल चादर हं र पॅ




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