पिचळेळा पावा | Pichalelaa Paavaa

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Pichalelaa Paavaa by भवानीशंकर पंडित - Bhavanishankar Pandit

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जन्मभूमिप्रशस्ति [ भूप ] नमन साध्गयंग जनि ! न्यायनयशालिनी ज्ञानविज्ञानखनि धान्यघनपालिनी शारदारूपिणी संपदाघारिणी रात्रगणमर्दिनी मित्रजनवधिंनी दुःखभयशोषिणी मोदसुखपोषिणी सुमतियशदायिनी मंगला विजयिनी झळझळे “* हिम? मुकुर्टि, मेखला “विंध्य * कटिं कच्छबंगालजुटि अंगदें बाहुवर्टि पूजि पद रत्नपुर्टि *कुमरिकन्या ? नटी विनयनत शोभिनी चराणि * लंका? गुणी उरिं रुळे चकचका सरिदुदकमालिका चमकुनी लखळखा दिपवि देवादिकां कुंज विलसे निका गाति शुक, सारिका अन्थि, नद, निझैरिणि आळविति रागिणी वीर “पृथ्वी परी कोण प्रथ्वीवरी १-- वा प्रतापी तरी त्या * प्रतापा'परी ! पाठ पुरवी अरी “छत्रपति? अभय तरि ! * रणजिता*सम रणीं नरमणी का कुणी ! आ न न




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