पद्य - पुष्पहार ४ | Padh Pushhpahaar 4

55/10 Ratings. 1 Review(s) Add Your Review
Book Image : पद्य - पुष्पहार ४  - Padh Pushhpahaar 4

More Information About Author :

No Information available about गजानन गोपाळ जोशी - Gajanan Gopal Joshi

Add Infomation AboutGajanan Gopal Joshi

Sample Text From Book (Machine Translated)

(Click to expand)
शेर पी डा. श्री र का श्र १. गस ९ र्ट र विवि भे वि ७८ ण लार न ५ ये द स द मातरम.) य्य र क टि 4 र सट 1< न, 3 जे त्स र ह चेर >: चे दीला तीला मि निलटि रट प्या प 3 १ राष्ट्रीय-माकना (१) भारतभू--गीता ( राष्ट्रीय ) शक “ माझा भारत देश ' भाव हृदयीं जी देवता जागवी; तीतें बंदन मी सदैव कारितों ती माय कीं शांभवी; भाषा, जात, कुलादि, हें तम पळो, स्वाराज्य-तेजो-रवी, भेदाभिद जगांत आज दिसती, ते सर्वही माळवी, क्र कः य क र मटन *» “ईप, कव शिलळ २२६3 : ०33७, ५ ह स




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now