कामसूत्र (भाग 3) | Kamasutra (Part 3)
श्रेणी : वयस्क - कामुक / Adult - Erotic
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6.15 MB
कुल पष्ठ :
18
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about महर्षि वात्स्यायन - Maharishi Vatsyayana
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अर्थः कन्या बी टी का विधान बताते हुए वात्स्यायन न है कि जो युवक अपन ही जाति व युवती के साथ शादी के नियम के अनुसार विवाह कता है। विश 10 * . और पुत्र की प्रारी होते है। श्री पुरुष को घी ॥ ४ मार गिता है की अश्श पर है और शेक्श आ र
आई मिला है।
क-2. तस्मात्न्याशेजपत्त लातात्मिती वित्त न्यून भाको धनत पशात कुले मर्यि अभिशले अपमानुषिकांपलशगंगाशरणारीधनीरा य एवं वागा।३।।
| अर्व श में कहा गया है कि युवक को ऐसी टी से शादी मन पाहिए जो इसकी जाति से हो र म स जाति के सभी गुण नजूद है, आता-पिता का
माया हो, की असे तीन साल पेटी हो, सुशील-शीत वध करने वानी हो, vीर धर की हो, जिसका परिवार परिहा और लोकप्रिय हो, जिसके रिदार भी ऐसे ही हो, माता-पित के भयो म में अन्य सदस्य भी है और न गा और हो, जो नर्मी स्वयं शौल में मुन्दा संपन्न हो सके हात, नान, कान, बाल,
| ra ॥ ॥ ४ ॥ ही हो ।
अरी 2014 uष्ट
अंक-3. या गुत्वा मित्ताने अन्वत न य समन्ति तस्य प्रसिरिति पीटकनुमः।।3।। ही है कि जिश मा को शादी के पुरुष को क य श र जाते ही कहे पर दाधारी गण झ , रई ॥ |
hी से ही पी चाहिए।
| कि-4. क्य क्षण मापत्य अभिनय प्रयतैरन्। मित्राणि च गृहीतमक्यान्सानि।।4।। अर्थः इस ह के नामों में सम्पन्न का को विवाह के लिए आस-ाि तथा स-वधियों के शिक्षा की वाहिए। दोनों तरफ के दोस्तों को भी इस संबध
लाने के लिए रवा मी चाहिए।
5. धरथिनां सालगिain दयेगु । दर्यवरुधशिधावraniuः ।।5।। अयः ल्वाटल वी ही प्रपूगि हेर्न है कि वे अपने दोस्त की कुलीनता, इसके पौरुष, शॉल आदि व गैरू करते हैं और लकी के घर वालों में इसके कार्य | और गुप्त के बारे में बताते हैं। मैं अपने दोस्त को ही के प्रत्यक्ष तथ आगामी गुग्गी आ अल मते हैं जिन्हें लरकी की मां और म अने पद श्रते हैं।
लोक-4 दैवधिकश्यय शकुनिमिाजबलपटर्शन सयकस्य मध्यमर्यसंयोग मागमण्यत्।।6।।
अर्थः हर्क के घर में मिला भेजा ए म्यक्ति को जी के जज * ज्या काही महकी शाट ।
A
का का जन्म
a
ली. मी तथा जन स्थान के अनुसार इसी डी के लिए ही ॥ और उसके काम का शुभासिद वा ।
क-7, अपर पुजारान्यता शिEन न्यालीन न्यामतन्मयः।।7।।।
34. ॐ के ना भेजे आने वाले एक को वाहिए कि की की मां को लर्क के बारे में अga-शहा श्र है। है है कि अभी भी की शादी जर लड़के से कर पाते हैं वह नवा आपकी लवी के लिए बिल्कुल ठीक है। मी मां को समझते हुए कई कि आपको अपनी लड़की की शादी भी लड़के
| मला वाहिए क्योंकि यह ब्रा आप की के लिए अभी सम त सकता है।
३-४ ईवनिशिबुनपशुनागुम्देन य येड्याप्य।8।। 4. अ-ली के माता-शिता की वारि कि है - को इस तया यह अक्षर के अनुकूलता देखकर पश और अ वो
|
कर आ ा क स क स राह कर आकाही की दी ।
को सता और निति तय
4. आधाई धोक्नु आ आ
है कि श्यल
क-9. न वद्दया केसमानुपाति पटक्यः ॥19॥ - माता-पिट के ही अफी इम में विवाह तम नही मला धोहि कि प्रधान और अंधविश्व
सलाह और श शाही तय नी धारि।
|
10. ॥ १८ ॥ ॥ ५॥ त्।।1।। अयंः लड़के की ऐसी लड़की से शादी नहीं करनी चाहिए जो अधिक होती है. हा हो, जी ने झाली हों, अधिक घूमने वाली हो और परिवार में झगड़ा कमाने
ली है।
संक-11. आतमधयां ध गुनां तां धो पूरा विशां विटा मुम्हां शुधिणियां सारी रात फलि जि स्कुआं वर्ष ध वयेत्।।11।।
User Reviews
Dileep Jain
at 2020-09-26 16:46:16"vatsayana Kamasutra part3 to part7"