वैदिक आदर्श | Vaidik Adarsh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.11 MB
कुल पष्ठ :
84
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्रध्दानन्द जी शर्मा - Shradhanand ji Sharma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १ )
नियमों पर ध्यान देने से ही उसके गोरव और महत्व का कुछ-
कुछ अन्लुमान हम जीव कर सकते हैं । उसके सहारे
प्रथिवी श्र सारे के सारे आनन्द हैं । कारण कि वद्द '्यानन्द-
धघर्मा हे, शांति का सागर है | शांति के उस सागर में पहुंचकर
पापामि से मुलसे हुए हृदय शांत हो सकते हैं। श्मानन्द-धर्ना में
ही पहुंचकर दुःखित 'छान्त: करण सख्त पान कर सकते हैं ।
ऐसे, छानन्द और सुख के धनी परमात्मा, धर्म के शत्रुओं का.
सदा विनाश करते हैं, उनके उत्तम नियमों के घिरुद्ध चलकर -
कोई भी पापी दुःख से नददीं वच सकता । पापी को शिक्षा देखे
के लिये; उसे पाप से दूर करने के लिए द्यालु पिता संदेव उसे
ताड़ना देते हैं. । में उसके नियमों में चलते हुए शत्रुओं से रक्षा :
के लिए उसी ईश्वर से सहायता मांगनी उचित है । पाप को दूर ,
करने में सांसारिक, 'झसार वस्तुओं व छुच्छ जीवात्मा से हमें
पर्याप्त सद्दायता कद्दां मिल सकती है ? माणों के प्राण परमेश्वर .
की छानन्त शक्ति 'पर विश्वास करके मनुष्य सच प्रकार के दुखों
से छूट जाता है । परमपिता हम सब जीवोंमें अपनी भक्ति शोर .
प्रेम का भाव स्थापित करें ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...