आदर्श साहित्य | Adarsh Sahitya

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Adarsh Sahitya by मुनि धनराज - Muni Dhanraj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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३०: कर्मो के वन्ध-कारणों का रहस्य पाचवां पुञ्ज ... १: आठ कर्मो के क्रम का रहस्य ' ३. आठों कर्मों की प्रकृतियां , . ३. आलं कर्मों में पुण्य कितने और पाप कितने ? ' ४. पुण्य का अर्थ एवं भेद ক কপির ५. देव-गुरु-धर्म के सिवा अन्य व्यक्तियों को नमस्कार का रहस्य पुण्योत्पत्ति का मुल का रण शके +, ., ७. पुण्य ইন हैं या उपादेय ? . ५ : - '. ८. धर्म और पुण्य एक हैं या दो ? ६. पुण्पानुंवन्धिपुण्य और पापानुवन्धिपरुण्य' . १०: द्रव्यपुण्य-भावपुण्य ~ ११. पुण्य की प्रकृत्यां ` , १२. पांप का अर्थ, प्रकार एवं फल .. १३. पापस्थान और पाप में अन्तर . १४. जीव भारी एवं हल्का कैसे वनता है ? १५. पापकर्म की प्रकृतियां १६. कर्मो की अवान्तर प्रकृतियों के भेद । : ` १७. जीवविपाकिनी-मवविपाकिनी प्रकृतियां | ष ` .. छठा पुञ्ज ` “ १. गुणस्थानों मे कमो का वन्ध, उदय एवं सत्ता . ` -२-उदय्‌.एवं उदयनिष्पन्न का स्वरूप | . -. ३. उपदाम जौर उपशमनिष्पन्न भाव - ` <. क्षायिक एवं क्नायिकनिम्पन्न का रहस्य ५८ क्षयोपंशम और क्षयोपश मनिष्पन्न भाव 1 १छ ` ~ १ ७. ११०. ` १०९१. ` १०३ १०४ “१०५ : १५५ १०५ १०६ ` १०७. १०७ ११० ` १११. ११५. ११५ ११६ ११७ १२०. ` ` ४२२ . १२२ হই, ২. 5, १२४ | না , १२४ |




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