रामकृष्ण परमहंस | Ramkrishn Pramhans

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Book Image : रामकृष्ण परमहंस  - Ramkrishn Pramhans

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पंडित शिव सही चतुर्वेदी का जन्म मध्य प्रदेश के सागर जिले के देवरी नामक गांव में हुआ था | इन्होने कई पुस्तकें लिखीं किन्तु समय के साथ साथ उनमें से कुछ विलुप्त हो गयीं | ये एक अमीर घराने से थे और बचपन से ही कला में रूचि रखते थे |
इनके वंशज आज जबलपुर जिले में रहते हैं और शायद ये भी नहीं जानते कि उनके दादाजी एक अच्छे और प्रसिद्ध लेखक थे | इनके पौत्र डॉ. प्रियांक चतुर्वेदी HIG 5 शिवनगर दमोहनाका जबलपुर में निवास करते हैं |

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १० 'दिया जाय तो फिर माया उस घेरेके भोतर नं ज्ञा सकती केवल शुद्ध सच्चिदानन्दका प्रकाश र'ता है । ८-दचिणेश्वरके मन्दिर्में नौवतखाने पर एक साधु दिन था। यच् किसोसे अधिक बातचीत नहीं करता था भर सवेदा ध्यान घारणामें मग्न रध्ता था। एक दिन मेघ उठे भ्रौर चारों भ्रोर भ्रन्थकार छा गया। कुक्त समयके पथ्चातू एक प्रबल आँधी आई और वद सेदोंको उड़ा लेगई। यच देख साष्ठु खूब सभें-कूदने लगा । साधकों ंससे कूदते देखकर परमंसजो ने पूछा--तुम तो नित्य भीतर चुपचाप बेठे रदते किन्तु आज इस प्रकार भ्रानन्द्म सग्न क्यों हो रे हो १ साधुने उत्तर दिया-“संसारको माया दो ऐसो है। पदले काश खच्छ था. फिर सेघोंने आकर झन्धकार सचा दिया, प्रबल धो चलो और मेघोंको उड़ा ले गई ! भाकाथ फिर समान साफ़ हो गया !”




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