अलबेरुनी का भारत | Albureni ka bharat
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.67 MB
कुल पष्ठ :
240
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ११२. )
के प्रारम्भ का उल्लेख है। तीसरी जगह वह मुलतान के हिन्दुओं के एक
सौद्दार का चृत्तान्त लिखता है । उसे मुलतान के स्थानीय इतिहास आर
स्थल-विवरण का अच्छा ज्ञान था । यहाँ के दुलभ नामक एक विद्वान
का सी चद्द उल्लेख करता है । श्रन्त में वह लिखता है कि पुरशूर
(92) गामक स्थान में मैंने हिन्दुओं को शंख श्रोर ठोल वजा कर
दिन का स्तरागत करते देखा । उस समय हिन्दू-विज्ञान श्र विद्याओं
के वड़े वड़े विश्व-विद्यालय कश्मीर ओर काशी झ्रादि मुसलमानों
के लिए दुर्गम थे । -
अनुवादक रूप में अंथकार का काम, ओर भारतीय
विषयों पर उसकी पुस्तकें ।
अनज्लुवादक रूप में अलवेरूनी का काम दुदरा था । उसने संस्कृत
से झरवी में श्रोर श्ररवी से संस्कत में श्रनुवाद किये । वह मुसलमानों
को भारतीय विद्याओं के अध्ययन का झ्वसर देना चाहता था, श्र
साध ही श्ररवी विया का दिन्दुओं में प्रचार करने की भी उसे उत्कट
अमिलापा थी । जिन पुस्तकों का उससे अरवीं में अनुवाद किया हे
वे ये ईं:--
(१) कपिल का सांख्य |
(२) पतब्जलि की पुस्तक |
(३) पालिस (पालस्त्य) सिद्धान्त, तथा
(४) त्रह्म सिद्धान्त । ये दोनों पुस्तकें न्रह्मशुप्त कृत हैं । झभी इन
का श्रनुवाद समाप्त नद्दीं हुआ था कि उसने भारत पर पुस्तक लिखी ।
(५) बह्त्संदिता, तथा ।
(६) लघुजातकम् । ये दोनों पुस्तकें चराहमिहिरि की बनाई हुई
हें । जब वद भारत पर अपनी पुस्तक लिख रहा था उसी समय वह
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