हिन्दू पद पादशाही | Hindu Pad Padshahi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14.25 MB
कुल पष्ठ :
258
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१४ - कुछ लोग श्रभी तक मुसलमानों का साथ दे रहे थे और उनके - पत्तपाती बने हुए थे इसके कई कारण थे-- १ कई व्यक्तियों के हृदयों में मुसलमानों की घाक जमी हुई थी उनका यहद विचार था कि इस बादशाही के सामने मरइठों का छान्दोलन कभी सफल नहीं हो सकता । २ छुछ मिध्यामभिमानी तथा. बहुत विचारवान् लोग. शिवाजी जैसे छानुभवद्दीन नवयुबक नेता को अध्यक्षता में काम करना झपनी पतिषा . सममते थे तथा ३ छुछ ऐस भी स्वार्थी लोग विधमान थे जिन्होंने व्यक्तिगत स्वाथैपूर्ति के लिये. यवन राज्य .का चिरस्थायी रह्दना दी परमावश्यक समक रक््खा था 1. शिवाजी मह्दाराज उस समय केवल महाराष्ट्रवासियों के ही प्रमुख नायक न थे बरन् वे सारे -दक्षिण और उत्तरी भारतवर्ष के हिन्दुओं के मनोरथ पू्ण॑ करने वाले शूरवीर अशुबा समझे जाते थे । लोगों का यह. दृदू विश्वास था कि एक दिन ऐसा ायेगा जब कि यही महाबीर हिन्दू- जाति तथा भारतवर्ष को स्ववन्त्र करने के यश को प्राप्त करेंगे उस समय का इतिहास और साहित्य. ऐसी बहुत सी घटनाओं . तथा गदयांशों से भरा पढ़ा है जिनके पढ़ने से यह पता लगता है कि लोग शिवाजी महात्मा रामदासजी सथा उनके बंशजों को उनके उद्देश्यों और कार्यों के कारण अत्यन्त श्रद्धा और भक्ति की दृष्टि से देखते थे । सारे प्रान्तों और नगरों के लोगों की यह प्रबल इच्छा थी और बह इस बात पर ज़ोर भी देते थे कि मरइषठा सेना शिवाजी के नेतृत्व. में उनके यहां आये तथा वे उस शुभ दिन की प्रतीक्षा में रहते थे कि कब मुसलमानों के कण्डे को फाड़ कर उसकी जगदमहाराष्ट्र की पथित्र-गेराआ विजय- ध्य जा उढ़ती-दिखाई दे । इस कथन - को प्रमाणित करने के लिए हस सबनूर निवासी हिन्दुओं का शिवाजी के नाम भेजे हुए हृदयविदारक पत्र का दृष्टान््स देते हैं। यह प्रत्र उत्दोंने उस समय शिषाजी को भेजा था जब कि उस प्रांत के
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