मध्य प्रदेश का इतिहास | Madhiya Pradesh Ka Itihas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10.81 MB
कुल पष्ठ :
125
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
रायबहादुर - Raybahdur
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)४ जरूरत हुई। झपको यह बात बताई गई शौार कह्दा गया कि झौप अापस में लेन-देन नद्दीं करते हैं ते अमुक स्थान से उनको उधार दिलवा दीजिए । जब मित्र ही मित्र की सद्दायवा न करेगा तो कौन करेगा ? झापने उत्तर दिया कि तब के का बहाना क्यों करते हो सहायता माँगो झार अपने इ पीरियल बैंक पर कारा चेक काट दिया धार कह दिया कि जितने रुपये की जरूरत हे ले लो | पुरातत्व से डाक्टर साहब का गँँठजाड़ा कैसे बेंधा यह भी एक विचित्र घटना है। छोटे साहब के पद पर नियुक्त हुए झापको कुछ ही दिन हुए थे। वे दौरे पर थे। एक शाम में उन्हें पता चला कि वहाँ के मंदिर के पुजारी के पास कुछ ताम्रपट हैं जिन पर बढ़ी विलचश भाषा में कुछ लिखा हुभा है । लोगों को विश्वास था कि वे किसी खजाने के बीजक हैं । पुजारी उन्हें बड़ी सावधानी से रखता था । उनको पूजता भी था । श्रापने उन्हें देखना चाहा पर पुजारी टालमटाल करने लगा । वह समझता था कि बीजक को पढ़कर सर- कार उस खजाने को ले लेगी श्रार शायद पुजारी पर कुछ विपत्ति भी पड़े। जब उसे विश्वास दिलाया श्लौर कहा कि धन होगा ते तुझे ही पहले बताया जायगा तब उसने ताम्रपट दिए । तास्रपटें को पढ़ने की झापको बड़ी उत्कंठा थी किंतु अपरिचित लिपि को क्योंकर पढ़ा जाय । सरकारी काम से छुट्टी पाकर प्रतिदिन उनको देखते-देखते झच्षरों की पहचान हुई । भाषा संस्कृत जान पड़ी । इससे अर्थ लगाकर उन भ्रक्नरें को भी पढ़ लिया जिनको पहचाना नहीं था । उनका सारांश भी लिख लिया इस दर्मियान श्रापको एपीप्राफिया इ डिका का एक झंक देखने के सिल गया । उसमें कई की नकतें धार उनका अनुवाद झादि था । उसको देखने से पता चला कि ऐसा विषय कहाँ छपने को थेजा जाता है। अब झापने अपने पास के ताम्रपत्र का लेख तैयार करके उक्त पत्र के संपादक के पास मेज दिया। वहाँ से बड़ा उत्साइवंद्क उत्तर झांया । वह लेख राष्ट्रकूट राजवंश के संबंध में बड़े काम का सिद्ध हुआ । लेख प्रकाशित दो गया । पुरस्कार के ४
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