हिन्दी नाट्य विमर्श प्रदीप | Hindi Nataye Vimarsh Pradeep
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.57 MB
कुल पष्ठ :
142
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ ४३
सेद रहित । सास्य समानता । सब. सीरम न ताज़ा सुगन्धी |
समचित - युक्त । नंतिकतता न नीतिज्ञता । प्रमाण न सबूत |
१४२ प्र० प्रस्फुटित न फूटी हुई« खिली हुई । पार्थिव न प्र्वी
का | छोर « फिनारा । सोपान + सीढी । उप्णता > गर्मी । संयम
८ इन्द्रियों को यश से रखना |
१४३ प्र० दीक्ता न रुसमन्त्र । स्थायित्व स्थिरता । कूल न
नदी । आतप + भ्रूप । दुहिता « पुत्री । प्रतिस्पन्दित न कतर
मनाया हुआ |
१४४ ऐप० महिपी न पटरानी |
१४४ प्र० घिदग्धता-पूण > चतुरता से भरा । प्रस्थान न कूच 1
सीवार न वन्य धान । प्ण-कुटी « भौपड़ी ।
१४६ प्र० रोही न गृद्दस्थी ।,शापजन्य शाप से उत्पन्न ।
१४७ प्र८ उपालम्भ उलाहना । मो मोहने बाला |
आसन्न प्रसवा न जिसका प्रसव ( व्याना ) निकट है। अभि
व्यक्ति ० प्रकटता 1
५ दृ० चतीसी वत्तीसों दात । कनिया + गोद । सुबनन
पुत्रों । झसिज्ञान > पहचान । दम्पती न स्त्री पुरुष का जोड़ा
४६१ प्र० चील लोहिंत न शिव जी ।
१६४ प्र८ उत्तर राम चरिते भव भूतिरविशिष्यते « उत्तर राम
चरित नाटक मे भवभूति कवि विशिष्र है। रश्मियों > किरणें।
तमोी-मय « झन्घकार वाले । शशि - चांद । निर्वासित -. निकाली
हुई । आसन्न प्रसवा * बच्चा उत्पन्न करने केलिकट ।
६४ पूृ० सद्दनिताओं > अच्छी खियों । अरतु * खेर; हीवे ।
ग्रजावत्सलता > प्रजा प्रेंम । तारंतम्य > क्रम; सिलसिला । प्रमाद
गफलत । तल्ननितःउस से पेदा हुआ । प्रचुरन्वहुत । बसन्चाहे |
१६६ प्र० पावन न पतित्र | झजोग “ अयोग्य ।
१६४ प्र० प्रजानुरंजन न प्रजा को प्रसन्न करना | वेदना ८
पीड़ा | उट्टे ग < घचराहट । झाये पत्र ० पत्ति 1
User Reviews
No Reviews | Add Yours...