वैधस्थ भूषण | Vaidhhast Bhushan

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Vaidhhast Bhushan by वैध बांकेलाल - Vaidh Bankelal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ ५ | तोला, मुनकका बीज निकाले हुए १० तोला, 5 मारी शुद्ध अफीम लेकर आदपाव पानी में घोले और ऊपर की सब दवाई मिलाकर आग पर गरम करे जब गोली वंधने लगे उतार कर तीन २ माशे की गोली बना शुन- गुने दो घूंट पानी से १ गोली सुवंद को खादे । २--ऊदसलीव को गले में वांधने से भी मुगी दूर हो :.. जाती है । ३--दुधि या बच का चूरन ९ माशा शहद में मिलाकर प्रतिदिन चाटे । ४--उछशोक के पत्तों के रस में समुद्र फल घिसकर नास देवे प--इरीहस्तिशु डा (तुलसी की तरह पत्तोवाला वृक्ष होता है जिसके ऊपर हाथी की सूंड की तरह लटकती है) घर हरी नकछिकनी बूंदी का स्वरस आठ २ आना भर मूढों के समय नाक में भरे । ६--झअकरकरहा|- छोटी हर ५ छेकर; (१॥सेर सिरका में भिगोदे ७ दिन वाद निकालकर पीसले तीनपाव शहद में मिलाकर रखले, २ माशा हर रोज खावे । ७--नारियल दरयाई १ चावल पानी में घिस कर पिलावे दूसरे दिन-जदवार खताई ३ रत्ती घिस कर पिलावें १ दिन नारियल, दूसरे दिन जदवार हेढ़ महीने तक पिलावे ।




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