आयुर्वेदीय औषधि उपचार पद्धति भाग - १ | Aayurvediya Ausdhi Upcar Padhati Part I

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Aayurvediya Ausdhi Upcar Padhati Part I by वैध बांकेलाल - Vaidh Bankelal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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६ १५१. ) सिम पदनयोग में पत् मेला मकरभध्व मु फद्रिक के स्वर में या जंग फें सर्वरख में था मुत रूधीचली खुरा में मिला चुन दोन र घन्दे के ध्न्तर से दे । स्वर और खुदा की माता ६ माये पी समभादी चाशिये 1 26 संस्ाश्त पान घास दनाया हुआ र्वर्पद्ति पटणशण दलि जारिंत परिधेम चिपादित- सिद्ध जकरध्यज मे० ९ विधिवत सेचिवोदोप णुद्पूं,मपि जीवयेत । पतदम्पासतशसेव लरा सर नादानमूं ॥ मैपज्य रव्नावकी १४८ सिद्ध मकरभ्द्रज सं० ६ श्र सिद्ध मकरण्वज नं० रे मं सि पर का ध्स्तर है उसको बनाते समय शीशी का काक बन्द कर विया जाता है जिससे अधिक खुश वाला बनना है दर इस मक- रश्वज नं० २ के करो बनाते समय शीशी का कार्क खुला रददता है.” तथा कार्क सु्ते होने से '्रौर 'यूम निकलते रदने से शीशी के कूटने को मय न्दीं रहता 1 वाकों सेवन विधि माना श्रदुपान हय्वदार श्यादि सब नदी है! ; छुब प्रकार का मकरध्य न, स्वयं सिंदूर, रस सिंदूर,मल्ल सिंदूर, ता च सिंदूर ताश्न निंदूर दत लय को ट्यूवददार करने प्रथम पान फे स्वरस में २ दिन अच्छी प्रकार मर्दन , करके रक्त लेना चघाहिए। इस हे परचाव्‌ थनुपान भी मिला देना श्रेष्ठ दे ।




User Reviews

  • sunil

    at 2019-09-15 07:28:56
    Rated : 8 out of 10 stars.
    सर मुजे इलादुर गुरबा नाम की किताब चाहिए चिकित्सा की है प्ल्ज़ प्ल्ज़प्ल्ज़ प्ल्ज़
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