नाड़ी दर्शन | Nadi Darshan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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5६ इसके सरल अभ्यास की संकेत किया है । उसके अनुसार प्रयत्न करने से भी काम चल जायेगा। अन्ततः हम आप से पूछना चाहते. हैं कि चिकित्सा शास्त्र पढ़ने के लिये आपने साइन्स संस्कृत आदि न जाने किस किस पर श्रम किया. एनाटोमी फीजियालोजी . बोटानी जुल्लोजी और न जाने कितनीं लोजीयों पर माथा पच्ची की ।. तो कृपा कर थोड़ा सा श्रम आयुवद अथ च नाड़ी विज्ञान पर क्‍यों नहीं . कर लेते ? जब स्टेथ्सस्कोप और ठेपन-परीक्षा द्वारा हृदय का शब्द शुनकर रोगनिणय हो सकता हू तो. नाड़ी द्वारा हृदय की ही गति पहचान. कर क्यों नहीं रोगनिणंय किया जा सकता ? कुल मिलाकर आप से . निवेदन है कि नाड़ी द्वारा रोगनिणंय करना न तो कठिन है और न असत्य ही कठिन है आप का इस ओर झुकाव जिसे झाप ही सरल कर सकते हैं । चिदोष-ज्ञान की नाड़ी ज्ञान के पू् इतना करना होगा जिससे त्रिदोष की जानकारी आप को हो सके । यह समक लीजिये आयुर्वेद की मूल मित्ति त्रिदोष पर ही निर्भर हे । इसका जितना ही गम्भीर ज्ञान होगा आायुवेद पढ़ने में उतना ही झानन्द आयेगा । पर आयुर्वेद विद्यालयों में इस विषय की पढ़ाई पर अपेक्षाकृत कम . ० ध्यान दिया जाता हे । में आप से कहूँगा कि थोड़ा ध्यान देकर इस विषय को पढ़ें । जब तक आप नह प्रत्येक जिज्ञासा का उत्तर न मिल जाय तब तक गे न. बढ़ें । हमने श्रस्तुत पुस्तक में कुछ निवेदन किया है पर इसके लिये स्वतन्त्र रूप से त्रिदोष की पुस्तकों का अध्ययन अवरय कर लीजिये। .. झगणित ग्रन्थ और उनके मतान्तर--नाड़ी-ज्ञान के सम्बन्ध में ब्यगाणित पुस्तक ह् । उन सबसें लगभग एक ही श्लोक या एक हो सत ं के वाक्य सिलते हैं । पर कुछ अत्यन्त असंगत मत भी मिल जाते हैं।




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