गीतांजलि | Geetanjali

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Book Image : गीतांजलि  - Geetanjali

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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६ कविता संख्या प्रथस पक्ति पसंख्या १४७--जीवन में निसका आभास नित मिछे १६५ १४८--नित्य विरोध नहीं सह सकती हू. .. १७३ १४९--करू प्रेम को आत्म-समपण ०. १७९ १५०--जो मुझे प्रेम करते जग में ० ... १७३ १५१---कब प्रेस-दूत को भेजोगे ..... . १७४ २५२--गान गवाए तुमने मुझसे + ... १७५ १५३--सोचा हुआ समास किन्तु यह .... १७३ १५४-छे ढेसे पर पृथण नजर ११... १७७ १५५--दिवस यदि हुआ समाप्त ..... ... १७८ १५६---नदी पार का यदद नो आषाडढ़ी प्रभात १७९ १५७ --जाते जाते मेरे मुख से ०१... ८0 १५८--मेरा अन्तिम यही निवेदन स्स्स् र्ट्रट १५९--तुमने सुके अनन्त बनाया म्स्र. रेट १६०--द्दोऊगा मैं बड़ा प्रति दिवस... .. १८४ १६१-गूत्यु दूत को मेरे घर के द्वारा... ... १८५. श्द&--वैराग्य साघन में मिले जो मुक्ति. .. १८३ १६ ३--राजे्र तुम्दारे हाथ काल है... . . १८७ १६४--दान तुम्दारा मत्यंवाषियों की ... . १८८ १६५--चित्त जहाँ भयशुत्य उच्च मस्तक नित रहता १८९...




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