सुलैमान सौदागर का यात्रा - विवरण | Sulaiman Saudagar ka yatra- vivarana
लेखक :
महामहोपाध्याय राय बहादुर पंडित गौरीशंकर हीराचन्द्र ओझा - Mahamahopadhyaya Rai Bahadur Pandit Gaurishankar Hirachand Ojha,
महेश प्रसाद - Mahesh prasad
महेश प्रसाद - Mahesh prasad
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12.1 MB
कुल पष्ठ :
146
श्रेणी :
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महामहोपाध्याय राय बहादुर पंडित गौरीशंकर हीराचन्द्र ओझा - Mahamahopadhyaya Rai Bahadur Pandit Gaurishankar Hirachand Ojha
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महेश प्रसाद - Mahesh prasad
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हू डे जे मुसलमान सौदागर जा मुसलमान सौदागर विदेश में जाते थे उन्होंने ही लोगों को दूसरे देशों का हाल बतलाया । वास्तव में उन्होंने ही आदि में यात्रियों का कर्तव्य पालन किया । इनसे ही बहुत कुछ समाचार पाकर इब्न दौकल बगदादी मसऊदी अलबिरूनी और इब्नबतूता आदि अनेक लोगों ने यात्रा पर कमर बाँधी यहाँ तक कि अपनी आयु का एक बड़ा भाग भ्रमण में दी निरंतर काटा केवल श्रमणार्थ ही सहसों कष्ट उठाए भूगोल वथा इतिहास ादि में विशेष रूप से ब्ृद्धि की अनेक लोगों के लाभ पहुँचाया श्रपनी जाति की सेवा की और श्रपना नाम सदैव के लिये इतिहास में अमर कर गए । इसके सिवा क्या यदद बात इतिहास जानने- वालों को मालूम नहीं कि भारतवर्ष से अनेक चीज़ें काबुल और कंधार के मार्ग से सारे पश्चिम में फैलती थीं । निस्संदे उन्हीं चीज़ों को देखकर महमूद ग़ज़नवी को भारत के धन का लालच समाया यहाँ तक कि उसनें सत्रह हमले भारत- बर्ष पर किए । निस्संदेद उसने भारत के विषय में बहुत कुछ सौदागरों दी से मालूम किया था । अस्तु इस प्रकार की बातों से स्पष्ट प्रतीत होता है कि उस समय के मुसलमान सौंदागर व्यापार दी में कुशल न थे बल्कि साथ ही साथ चतुर यात्री का कर्तव्य भी पालन किया करते थे। सुसलमान लोग जब तक अनेक देशों में अ्मण करते रहे जब तक व्यापार
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