सरस्वती | Saraswati

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Saraswati  by महावीर प्रसाद द्विवेदी - Mahavir Prasad Dwivedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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के # थी? इंडियन प्रेस प्रयाग की सर्वोत्तम पुस्तकें सटे की कि घिनयपत्रिका । भागरान्दिस्सी प ० शमेरवरमइ-कृत सरलता रीकासदित है गोस्वामी सुह्सीदासभी की कविता फो सुन कर हिन्दू थी नहीं विदेशी झार विधर्मी छ्लोग॑ भी मी मुक्कण्ठ से प्रशंसा फरते हैं । प्रेम भार मक्ति के वर्शन फी दृष्टि से विनयपश्रिका फा नंबर रामायण से भी पहनने गिना जाय तो कोई आश्चर्य नहीं । विनय पत्रिका का एक पक पद मक्ति भार प्रेम-रस में सरा- वोर दो रहा है । भय ऐसी सरझ भाषा में दे कि वाकक भी समस्त सकते दें। इप्ठ १५४ । सुन्दर सिल्द । मूस्य २) कर सु रे बिपय में सर गये दूर कक भाई ईंन के पत्र की सकता इस भीचे 1 दस्दी ने विक्ायत से पंडित शमेश्रर सइ के साम भेजी है--- मपक ण्ण्ला ० दि लला कनट्टांण्टिएं एप दि एिव्णक 4. फिपवबणण है. ए.1.फ.. .. दिठामर पर मुरकप्चे 9 फिह मिड 07 दि एद्रशकाहाचयाणा 0 प्त्वथ एल 8. 0० ए0५ 8लूब्सीदा 014. है 8ष रा हीना कस्टम ह दम धर्पपेक्ल्नणट्ट उप 16 (0 चर थ]ाएटी 216 पद तडू- सलाह ला 0१ ऐ16 चिप कर लिलक्रतिया 11012 हद ठप च्छिपा १99 ०0871 िल्कक 2 वित्त ऐड ण्द्ण पध 18 ६ ज्एपपिज इप0ए०तकएए 0 एप िले। (100 01 6 एबचरिलब्नक 20 इत्ठ1 है 9 8 सदप. फतह दे केश 0 छू हली। . ५७ एपसफुप रठिपटती 18 ७ तें। फि- 0ए1 क्षण फ्ता उ पाती 1६ 35 तह 0. (िध टिक फि्लपिद साउधटण एक पाएश उाईडड इतऐं होल ते 06 बप168 छ9+ लात एंस्00६ चना 1 )ह१० हल्तुह पिप्०वे 1६01. द्ात्थ दहडििफ७ व हाफ पफिद्र छीफिन त्च् मर गा (तर... बह फिणय एक जु०्प क्री ल0 एव कई. प0ताइ सो बताते फएतट्ठ एप शक का पह दा धफतएँ 01 शए6 बाश्तिि्ती (1 5.८]त८ ७ ६१00 चूबननं षृ दल 01 चौपेटी का अहा पाला... प्र पा 064 पिप जा 5. 01 चली पलक ्स हु गा 1६ इपिक्ठत्ताह इए 1. कुतिपाद उप पक सतइपड 2. पिंड एक हरा5 . रिडचपीप पिदित्पलथ चार ८३६६. व... न सन सममरपमपपरोन कस सपय जिजय या ( सच्त्र ) हिन्दी-कोविदरल्लमाला । दे भाग ( वादू रयामपुस्व॒रदास यी + पु० द्वारा सम्पादित ) पहले माग में भारवेन्दु चामू दरिक्न्द्र भार मददपि शयानन्द सरस्वती से ज्लेफर घर्तमान फाल सफ के द्विन्दी के नामी नामी चादीस केखकों भार सददा- यकों फे सचित्र संकिप्त जीवन-चरित दिये गये हैं । बुसरे भाग में पण्डित मद्दावीरप्रसादजी द्विवेदी तभा पण्डित माघवराव सपने /वी० ए० भादि विद्वानों फे सथा का विदुपी खियें के सीषनचरित छापे गये हूं । दिन्दी में ये पुस्तक अपने ढेंग की अकेली ही हैं । प्रत्येक माग में ४० हाफूटेन चित्र दिये गये हैं। मूल्य प्रत्येक भाग का १॥._) ठद्‌ रुपया एक साथ दोनों मार्गों फा मूल्य ३) हीन रुपये । छलोशि ्षा का एक सचित्र नया भर अनूठा भन्य सीता-चरित 1 इसमें सीसाशीफी जीवनी दे चिस्तारपूर्वफ लिखी दही गई है किन्सु साथ दी उनकी सीवनपटनाओों का महदत्र मी विसार के साथ दिसाया गया है । यद पुस्सक भ्रपने ढंग की निराली है | मारठवप की प्रत्येक नारी को यह पुस्तफ झवश्य मेंगा कर पदनी घाहिए। इस पुस्तक से सियाँ ही नद्दीं पुरुप भी अनेक शिर्ार्ये प्रहद कर सफते हूं । क्पेफि इसमें कारा सीठाचरिस दी नहीं दै पूरा रामचरिस भी । भाशा है खी-शिष्ता थे प्रेमी मद्दाराय इस पुस्तफ का प्रचार फरके सियां फो पाविप्रतठ घर्मे की शिक्षा से ध्रुव फरने पूरा प्रपन्न करें गे । पुप्त २३५ काग़ज़ मेंटा । समित्द । पर मूल्य कशत १1.2 सया सपया । ७ न एप पी ये जथ तक पुस्तक मिलने फा पप्ठा--मेनेजर इंडियन घेस प्रयाग ।




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