तत्वार्थ दीपिका खंड - १ | Tattvarth Deepika (vol-i)
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9.03 MB
कुल पष्ठ :
264
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about वटेश्वर दयालु वकेवरीय - Vateshvar Dayalu Vakevariya
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्श्ः सूघ संख्या दूसरा झ्रध्याय उपयोगों लक्षणम् । स दिविधोडप चतुसेंदु । संसारिणो सुक्ताश्र । समसस्का मनस्का | संसारिणय खसस्थावरा । पुथिव्यप्तेजो वायु चनस्पतय स्थावरा ट्वोन्द्रियादयस्रसा 1. परचेन्द्रियाणि । द्विविधानि । सिवू त्यपकरणे द्रव्येन्द्रिमू । लब्भ्यपयोसोी भावेन्ट्रियमू । स्पशंन रसन घाण चच् श्रोत्राणि । स्पश रस गन्ध वण शब्दास्तदर्धा श्रतसचिन्द्रियस्य । वसस्पत्यन्तानासे कमू । कूसि पिपीलिका आ्रमर मन ष्यादीनासे केक वद्धाचि.। . संज्ञिन समनस्का । . विश्रह गतो कम. योग 1 . झनुश्रेखि गति - | . छविम्रह्मा जीवस्य । - विंप्रहवती च संसारिण प्राकू चलुश्य । - एक ससया विग्रहमा। - एकं दो चीन्वाइनाहारक 1. समूच्छ॑न गर्थोध पादृडजन्स 1. कण पु हर पद. श्द७ श्प्प - २8.९ श्घ्र श्घ३. . र९४ १8७ श्ध्प १६६ ०० . रु०१. रे०रे रे०४ र्०४ न्०द था र्०६ द . शु०७ - नर०६.. शा . . रे १० - ररर र्श २१६
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