जीवाणु विज्ञान | Jivanu Vigyan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Book Image : जीवाणु विज्ञान  - Jivanu Vigyan

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about आयुर्वेदाचार्य - Ayurvedaacharya

Add Infomation AboutAyurvedaacharya

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
७ वासस्थान छणायु सवब्यापी इोने के कारण घायु सर भूमि सथा प्राणियों फ शरीर पर कहीं सधिक कहीं कम कसी सधिक कभी कम मिलस है । इनमें भिकारी भीर सविकारी दोनों प्रकार के उपस्थित रहने हैं । भूमि-- भूमि फे रपरितिन माय में_इनकी दहुत सधिक इोसी है लौर पाँच ७ पट गहराई कफ पथात्‌ छम इोती दे । मीसे के भाग में घातमी स्वरूप के होते दें । सूमि में दोने पाछे तृ्पाणा प्रा्युप सोवी द्ोते है शो से लि सादा मे शर्त करक बनवा मा पदार्थों में सड़त उस्पम्त करके इनका नाश करते दें. इमके सतिरिक्त स्पूडोमोनस नेट्रोवश्टर इत्यादि मर्रीकरण किया करने धाने सम्प प्रकार के सी दोउ हैं। इन भविकारियों के भत्तिरिक्त सूमि में घिकारी रपस्प फे भी भमेक शुणाण मिछते हैं यद्यपि भूमि हनके किये झमुकछ स्थान नहीं दोठा तथा रपुपलीवियों छ्वारा इमका किया जाता है । थे समय समय पर श्पसए रोगियों के सरसूध्रादि के साथ भूमि में पहुँच जाते हैं । विकारियों में मिम्म प्रभान हैं -पूपब्नक कोकाय झप कु पेस्थाइस धनुवाँत भवतीसार यिश्न चिका भाम्तिकस्पर पुस्फ्ठण्म्सा दुप्शोथ वासिककोथ फे वैसीलाप । जलन-जए में मो भनेक दृणाणा वपस्थित रहते ऐं। इनके सीम घपिभाग कर सकसे हैं 1 १ स्वोमाविक शल वृण्णण १0161 000- पे भधिकारी होते हैं । दे 1 मूमिसूणाण 30110901061718 थे वर्षों के कारण भूमि से वहकर रत हैं पा मंव पा दया चरठी दे सब पुछ्ि के साय पामी में मिलस है। 3 मोरो परनाले के 56फ06 एणाण थे थिकारी दोसे हर इममें मिम्न प्रेयान हू -विमुकिका सतीसार सास्तिशस्वर के । इमफे झतिरिष भूसि में मिशने पाले अग्य सप हुणाण पामी में मिल सके हैं ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now