मध्य प्रदेश का इतिहास | Madhya Pradesh Ka Itihas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ३ ) था इस कारण अ्राप वहाँ एक्स्ट्रा असिस्टेंट कमिश्नर बनाकर भेज दिएं गए । वहाँ आपने कड़ी सेहनत से जनता की सेवा की । अभी यह कार्य समाप्त भी न हा पाया था कि सच्‌ १६०१ की मनुष्य-गणना का समय झा गया । छत्तीसगढ़ के कमिश्नर ने श्रापको रायपुर जिले की मनुष्य-गणना के लिये विशेष रूप से माँग लिया । यह कास पूरा होते ही आप मध्यप्रदेश की सचुष्य-गणना के श्रसिस्टेंट सुपरिटेंडे ट बना दिए गए । कई भाषाओं के ज्ञाता होने ्नौर सध्यप्रदेश की भाषाओं जातियों तथा विविध धर्मो की असिज्ञता रखने के कारण अआपको यह पद मिला था | ्रापकी बदली यहाँ से बिलासपुर के एक्स्ट्रा असिस्टेंट कमिश्नर के पद पर हुई किंतु शीघ्र ही फिर गजेटियर का काम करने के लिये अप नागपुर बु्ता लिए गए | यहाँ पर अपने बड़े महत्व का काम किया । गजेटियर का काम पूरा करने के उपलब्य मे सरकार ने झापको रायबहादुर बनाया ।. नागपुर से श्रापका तबादला दो-तीन स्थानों में हुआा। अंत में १६११ की मनुष्य-गणना का काये संभालने को आप फिर नागपुर बुलाएं गए । एक बार आप भेड़ाघाट के जलप्रपात झ्रार संगमरमर की चट्टानों की शोभा देखने के लिये अपने एक मित्र के साथ नाव पर रवाना हुए । इसी समय कहों से एक ददे-भरी पुकार सुन पड़ो बचाओ सरे झ्रापने चारों ओर देखा तो मालूम हुआ कि कुछ लोगों पर मघुमक्खियाँ झाक्रमण कर रही हैं श्रीर वे लोग अपने बचाव के लिये पानी में डूबते-उततराते हैं । जद्दाँ की यह घटना है वहाँ नर्मदा गहरी थी । पीड़ितों की पुकार सुनकर अपने प्राणो की परवा न करके उन लोगों को बचाने का प्रयत्न किया । मित्र को तो उन्होंने किनारे पर उतार दिया ार स्वयं वहाँ नाव लो गए जहाँ पर वे लोग कष्ट पा रहे थे शरीर उनका उद्धार कर लाए । इस घ-ना से ज्ञात होगा कि उनके हृदय में कितनी सहानुभूति थी । आप उधार देने को अच्छा न समझते थे । आपको इसका कट अनुभव हो चुका था । एक वार आपके एक बीमार मित्न को रुपयें की




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