सृष्टि विज्ञान | Srishti Vigyan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : सृष्टि विज्ञान  -  Srishti Vigyan

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

आत्माराम जी महाराज - Aatmaram Ji Maharaj

No Information available about आत्माराम जी महाराज - Aatmaram Ji Maharaj

Add Infomation AboutAatmaram Ji Maharaj

एस. ए. दुदानी - S. A. Dudani

No Information available about एस. ए. दुदानी - S. A. Dudani

Add Infomation About. . S. A. Dudani

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
ओरेस्‌ सष्टिविज्ञान. रैक कि ६ नथम अध्याय पश्चिमी विद्वानों में इस विषय पर भलीभौंति आंदोलन हो रहा १ है कि आदि सष्टि मनुष्यादि की किस प्रकार हुई ? दो विचारों पर वह लोग इस विषय पर पहुँचे हैं एक यहकि कत्तो ने सृष्टि की रचना नियम पूर्वक निर्माण की है । दूसरे यह कि सबे प्राणि उक्त प्रकार के विरुद्ध किसी एक स्वरूपसे विकारको प्राप्त होते हुवे वर्चे- मान द्याओं को पहुँचे हैं । महोदय ज्यॉजे रोमेनीजू# की प्रथम विचार ( आत्तिकवाद ) पर यह आशंका है कि यह बात मनुष्यकी बुद्धि में केस आ सकती है कि किसी व्यक्तिका विचित्र शरीर एक क्षण में बहिरह् दुशाओं के अनुकूल हो गया ? जगत्‌ अ्रत्तिद्ध डार- विन महोदय थी प्रथम विचार वा आस्तिकवाद के विरुद्ध हैं । कायलां हैकीठ आदि अनेक पश्चिमी विद्वान डारविन से सह- मत हैं और मानते हैं कि जिस प्रकार मिन्नर मानवी भाष।एं किसी एक भाषाका रूपान्तर हैं उसी प्रकार नाना व्यक्तियों की द्चा कि जाननी चाहिए और अपनी पुष्टि में यह कहते हैं कि स्ष्टि उत्पत्ति क पुफी6 छिणंगाधिषिठ कारावना०७ एव 07छुक्षां० कारणपतिंपा 9 (००७ व. उिणाकााह8 उ ..ठै . 1. 10. पके... पे उछा] )87एफाए 6 पि&6016]




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now