मेरी कैलाश यात्रा | Meri Kailash - Yatra

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Meri Kailash - Yatra by स्वामी सत्यदेव जी परिव्राजक - Swami Satyadev Jee Parivrajak

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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७ कठिन चढ़ाई है । यूड़ा से आगे पांच मील का उतार है । इसके बाद अल्मोड़ा पहाड़ की चढ़ाई शुरू होती है । यहां पर दो पहाड़ी नदियों का सगम है और पुल वधा है । अल्मोड़ा की साढ़े चार मील की चढ़ने पर शहर में पहुंच जातें है । अच्छा अब अल्मोड़े का वणन सुनिण्। ः की इस पव॑तमाला मे अल्‍मोड़ा सब से बडा शहर है। इसकी आबादी दस ग्यारह हजार के लगभग है । यहां का जल-वायु अति नीरोग है इसलिए भारत के प्राय सभी ग्रान्तो के लोग यहां आते है । पहले तपेदिक के बीमार अल्मोड़ा मे अधिक आया करते थे पर अब गव्नमेंट ने ऐसे बीमारो के लिए भवाली मे बड़ा सुन्दर अस्पताल बना दिया है इसलिए तपे- दिक्न के रोगी अल्मोड़ा न जावे । जिन भाइयों को इन पवतों का आनन्द लेने के लिए यहां आना हो वे शक्ति सम्पादक अल्मोड़ा से पत्रबव्यवहार कर पहले स्थानादि के किराये का ठीक ठाक करले । बहुत से भोले भाले बन्धु यहां आकर बुरी तरह ठगे जाते है । उनको धूते मकान बाल दुणुणे तिगुखे किराये पर मकान देकर पहले किराया वसूल कर लेते है पीछ से टूटी फूटी किसी चस्तु की सरम्मत नदी करते । सारा किराया आरम्भ में कभी न देना चाहिये। आधा दे दिशा आधा फिर महीने दो महीने बाद अच्छी प्रकार मकान के गुण दोष समभ कर देना उचित है । संयुक्तप्रान्त के इस छोटे से शहर में शिक्षा करा अधिक प्रचार है । बहुत से श्रेजुएट वकील जज पेन्शनर यहां पर मिलेंगे । कुशाभबुद्धि न्राह्मणों की यहां कमी नददी पर मुझे बड़े दुःख और सन्ताप के साथ कहना पड़ता है कि इनको बुद्धि और शिक्षा सब स्वार्थ मे खर्च होती है । नौकरियों के भूखे ये अपना सबंस्व इसके लिए हारने को उद्म्त रहते है। खुशामदी मक्कार चुगलखोर 1




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