हिन्दी भाषा और साहित्य का विवेचनात्मक इतिहास | Hindi Bhasha Aur Sahitya Ka Vivechnatmak Itihas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17.16 MB
कुल पष्ठ :
860
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्री व्यथित हृदय - Shri Vyathit Hridy
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भाफा सानव-जगत में मापा का अधिक महत्त्व है । विश्व में जितने देश हैं (सब की वपनी पुथक पृथक भाषा है । जंगलों में रहने वाली सभ्य जातियाँ भी अपनी भाषा में ही संलाप करती हैं । भाषा मनुष्य की एक प्राकृतिक सम्पत्ति है। मनुष्य जन्म लेने के साथ हीं रुदन के रूप में भाषा का उच्चारण करता है। जन्म से लेकर मृत्य तक उसके जीवन का जो तार बजता है बह भाषा से ही ध्वनित होता है । मनुष्य अपने बिचारों का द्रादान-प्रदान तथा भावों का. उद्भवन भाषा के ही दारा करता है । मानव-जगत में जिस भाषा का इतना श्घिक महस्व है उसकी उत्पत्ति किस श्रकार हुई है यदद एक महत्व पूर्ण प्रश्न है | भाष्रा की उत्पत्ति के प्रश्न को लेकर भाषा की विश्व के भाषा-वैज्ञानिकों ने बड़ी-वड़ी त्ालोचनाएँ की हैं । उत्पत्ति निश्चित रूप से ऋाज तक यह कोई नहीं कद सका कि संबं प्रथम भाषा की उत्पत्ति किस प्रकार हुई पर विद्वानों ने अनुमान के दाघार पर उसकी उत्पत्ति के संबंध में कुछ सिंद्धांत स्थिर किए हैं । यद्यपि उन सिद्धान्तों में परस्पर वैपम्य है पर उनसे भाषा की उत्पत्ति विषयक प्रश्न को समभने में सद्दायता अवश्य मिलती है । उन सिद्धांतों में महत्त्व पूर्ण सिद्धांतों के नाम इस प्रकार हैं - दिव्य उत्पत्तिबाद झनुकरण मूलकताबाद मनोभावाभिव्यंजकवाद श्रनुस्शन मूलकता बाद श्रम परिहस्ण मूलकतावाद विकासवाद अर समन्बितवाद । दिव्य उत्पत्तिवाद द्ास्तिक वबादियों का मत है। इस मत के श्रनुसार भाषा की उत्पत्ति श्रादि काल में ईश्वर के द्वारा हुई है । इसी मत के श्राघार पर सभी चघर्मानुयायी अपने प्राचीन धर्म-ग्रन्थों की भाषा को श्रादि भाषा सानते हैं । वेदों में श्रास्था रखने बालों का कहना है की वेदों की भाषा संस्कृति देव वाणी है | इसी प्रकार सुसलमान कुरान की माषा अरबी को खुदा का कलाम कहते हैं । इसाई भी घाइविल की भाषा को ईश्वरीय भाषा मानते हैं। वौद्धों मे पाली को ईश्वर की बाशी की संशा दी है । अनुकरण मूलकताबाद श्रलनुकरण पर आधारित है । इस सिद्धांत के पोपकों का कथन है कि ससुष्य की भाषा की उत्पत्ति पशु-पश्चियों की बोली के श्राघार पर हुई है । उनका कहना है कि जब मनुष्य ने पक्षियों की बोली सुनी तो उसने उसी
User Reviews
No Reviews | Add Yours...