विज्ञान [भाग 112] [संख्या 1] | Vigyan [Part 112] [ No. 1]
श्रेणी : पत्रिका / Magazine, विज्ञान / Science
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
43.95 MB
कुल पष्ठ :
517
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)करता । प्रयोग द्वारा ज्ञात हुम्रा कि शरीर में एक विदेष रसायन के श्रभाव के कारण ही ऐसा होता है । इस यौगिक को संदलेषित करके इसको रोगी को देने पर शरीर दुसरे के शरीर का श्रंग सम्भवत पुरणरूप से प्रहण करने योग्य हो जायेगा । इस दिया में श्राज कल प्रयोग हो रहे हैं । यदि इन प्रयोगों में सफलता मिली तो भविष्य में सरलतापूबंक हृदय बदले जा सकेंगे । फिर हृदय ही की बदल क्यों ? मनुष्य का मस्तिष्क तथा पूरा सर भी बदला जा सकेगा । वस्तुतः पूरे सर का बदला हृदय बदलने से सरल होगा । जरा विचार करिये उन समस्याध्रों का जो इन श्रॉप्रेशन के सफल होने पर उत्पन्न होंगी । खाद्य समस्या को सुल भाने का भरपूर प्रयत्न विज्ञान सतत कर रहा है । समुद्र में खेती करने की योजनायें बनाई जा रही हैं । ऐसे पेड़ों की खोज हो रही हैं जो समुद्र के जल में उग सकते हैं श्रौर जिन्हें मनुष्य खा सकता है। जापान ने इस क्षेत्र में बड़ी प्रगति की है श्रौर वहाँ समुद्र में उगाये गये खाद्य पदार्थ बाज़ार में बिकने लगे हैं । श्रन्तरिक्ष के उड़ान के बारे में तो सभी को मॉलूम है । चन्द्रमा से होकर मनुष्य लौट चुका । श्रब वहाँ पुनः _ जाकर श्रधिक जानकारी प्राप्त करने की योजनायें तैयार हैं । श्रपोलो 15 चन्द्रमा में न उत्तर सका । उसके यान . में कुछ दुघंटना हो गई । परन्तु उसके उड़ाके सुरक्षित पृथ्वी पर लौट श्राये । यह भी विज्ञान का एक चमत्कार ही है। इन उड़ाकों ने श्रपनी वापसी यात्रा उस यान में की जो चन्द्रमा में छोड़ दिया जाने वाला था । इस सफलता से ग्रांतरिक्ष के उड़ाकों का साहस श्रोर भी बढ़ गया है । ऐसा सोचा जा रहा है कि चन्द्रमा में एक स्थाई . प्रयोगशाला बनाई जाय । कुछ लोगों का तो यह भी मत है कि किसी दिन चन्द्रमा में ऐसी धातुभ्रों के बनाने के कारखाने बनाये जायेंगे जो पृथ्वी पर कम मिलने बाली धातुओं का उत्पादन करेंगे । वहाँ पर तेयार करके उन्हें पृथ्वी पर लाने पर वे यहाँ तेयार॒ की गई उन धातुप्नों . से सस्ती होंगी । फिर दुत्य गुरुत्वाकष॑ण के स्थान पर छरें बनाने के कारखाने में बने छरें बहुत श्रच्छे होंगे । 16 विज्ञान कुछ लोगों का मत है कि छुरे बनाने के कारखाने श्रन्त- रिक्ष में श्रवद्य खोलने चाहिये । श्रन्तरिक्ष में स्थिति श्रस्पतालों की भी कल्पना की जा रही है । इनमें कुछ रोगों का इलाज सरलता से किया जा सकेगा | बिना मनुष्य के चलने वाले रॉकेट श्रन्य - ग्रहों के निरीक्षण के लिये भेजे जा रहे हैं । श्रपने सौर-परिवार के कुछ ग्रह जैसे बुध श्रौर मंगल के पास से होकर ऐसे रॉकेट निकल भी चुके श्रौर उनके वायुमण्डल श्रौर सतह को रूपरेखा का ठीक-ठीक श्रनुमान होने लगा है । भ्रभी कुछ माह पर्व मंगल की सतह के जो चित्र प्राप्त हुषे हैं उन्हें देखने पर लगता है कि मंगल की सतह भी चन्द्रमा की सतह की भाँति क्रेटर से भरी है । श्रभी तक कोई रॉकेट मंगल की सतह पर नहीं उतरा । मंगल की सतह पर एक स्वचलित रॉकेट उतार कर वहाँ की स्थिति ज्ञात करने की एक योजना पर काम हो रहा है । जहाँ मनुष्य श्रांतरिक्ष में दूर दूर जाने की सोच रहा हैं वहाँ वह श्रपने पृथ्वी पर भी तीव्र चलने वाले हुवाई जहाजों की रचना में भी व्यस्त है । ध्व्ि से तीघ्र गति से चलने वाले यान तो बन ही गये । श्रब सवारी के लिये ऐसे तीब्रगामी हवाई जहाज बनाने की योजना पर काम हो रहा है । इंग्लेंड श्रौर फ्रांस दो राष्ट्र सिलकर ऐसे वायुयान की रचना में व्यस्त हैं। जब यह उड़ने लगेंगे तो. दिल्ली से लन्दन की यात्रा केवल छः घण्टों में ही की जा सकेगी कननिम ग्रह बनाकर उनसे मौसम का श्रमुमान तो कई वर्षो से हो रहा है। इधर कुछ वर्षों से इनका उपयोग श्रंतर्राष्ट्रीय टेलीफोन रेडियो श्रौर टेलीवीज़न के प्रोग्राम के श्रादान-प्रदान में भी सफलतापूर्वक किया जाने लगा है । श्रब श्रमरीका के रहने वाले योरप के प्रोग्राम टेलीवीज़न में घर बैठे देखते हैं। ऐसे कचिम उपग्रहों का. उपयोग करके भारतवर्ष में भी दुनिया भर टेलीवीजन प्रोग्राम देखे जा सकेंगे । दुनिया कितनी छोटी हुई जा रही है । डा० कृष्ण बहादुर डी० एस-सी० रसायन विभाग इलाहाबाद यूनिवर्सिटी इलाहाबाद (काश वाणी के सौजन्य से) कि हे (छ जनवरी 1974
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