कला के प्राण बुद्ध | Kala Ke Pran Buddh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
57.45 MB
कुल पष्ठ :
228
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सिंद्धाथ॑ की भाज्ञा से वह कपिलवस्तु लौट चला । कंथक अपने स्वामी का वियोग न सह सका । रास्ते में ही उसने प्राण त्याग दिये । प्रातः होते ही करपिलवस्वु के लोगों ने जान लिया कि कुमार सिद्धाथे उन्हें छोडकर चले गये । शुद्धोदन और राहुछ-जननी पर मानों बज्यपात हो गया | सिद्धार्थ अनेक भू-खण्डों को पार करते हुये अनुपिया पहुंचे जहाँ सघन माम्र-कुज था । वहाँ सात दिन बिताकर वे राजगह गयें।. राजगह उन दिनों मगघ की राजघानी था । प्रात काल जब सिद्धार्थ अपना भिक्षापात्र लेकर नगर में गये तो नागरिकों ने उनका दिव्य-रूप देखकर समझ लिया कि यह कोई सामान्य भिक्षु नहीं है । महाराज बिम्बसार सिद्धार्थ से मिलने के लिए आये | बे सिद्धार्थ की बातों से इतने अधिक प्रभावित हुये कि अपना राज्य ही उन्हें सौंप देने का प्रस्ताव रखने लगे किन्तु सिद्धार्थ को राज्य ही करना होता तो कपिलवस्तु और स्वजनों का त्याग क्यों करते ? बिम्बसार ने उनसे आइवासन ले लिया कि वे जब बुद्धत्व प्राप्त कर लौटकर जावेंगे तो उनकी नगरी को अवश्य ऊुतार्थ करेंगे । सिद्धाथें ने दाशषंनिक विद्वान आलाड कालाम से दीक्षा ली और अपना अध्ययन समाप्त कर सुद्क रामपुत्र के पास गये किन्तु जब वे सिद्धाथ की जिज्ञासाओं को शांत न कर सके तब गौतम उरुवेला में जाकर उप्र-तप में छीन हो गये । दारीर अस्थि-पिजर भर रह गया । उरुवेला में ही उन्हें पंच भद्वर्यीय भिक्षु मिल गये । वे भी उनके साथ रहने लगे । एक दिन तप वरते-करते सिद्धाथं ने सोचा कि शरीर को कष्ट देना व्यर्थ है। बीन के तारों को न तो अधिक कसो गौर न ढीला ही छोड दो । यही बात दारीर के साथ भी है । उन्होंने मध्यम मार्ग को ग्रहण किया । उम्र तपस्या को छोड दिया । पंच भद्रवर्गीय भिक्षुओं नें जब यह देखा तो समझ लिया कि सिंद्धाथ तो साधना-भ्रष्ट हो गये । वे उन्हें अकेला छोड कर ऋषि पतन जिसे आजंकल सारनाथ कहते हैं चले गये । गोतम मिताहारी रहकर तपस्या करने लगे । वे एक अश्वस्थ वृक्ष के नीचे बैठे थे जिसे आजपाल कहते थे । गौतम को क्षुधा का अनुभव हो रहा था । उन दिनों वृक्ष-देवताओं की पूजा होती थी । जिस वक्ष के नीचे सिद्धार्थ बैठे थे उसके है. चित्र के लिए देखिये---.0ए/ए्एा095 0. 8िजाटीत 95 पी उठापा 81811 ए 01 दा 16866 पं०- 0 रे चित्र के लिए देखिये--8८प116प+85 1 116 रियो 8 पहएप्ा 9घ 8िए०0262 #15५€ 00088 982४० ० 67. अन्य निज पे
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