हिंदी प्रेमगाथा काव्य - संग्रह | Hindi Premgatha Kavya - Sangrah

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गुलाबराय - Gulabray

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पं गणेशप्रसाद द्विवेदी - Pt. Ganeshprasad Dwivedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रेममार्गी कवि ३ फक़ीर हो गये हैं । शाहजहां का लड़का दाराशिकोह भी सूफी सम्प्रदाय का पोषक और बड़ी उदार प्रकृति का था। वह क़ादिरिया ख़ानदान का था । ख्वाजा वद्दीउद्दीन नन्ञशबन्दियों में से थे । जायसी ने चिश्ती खानदान का उल्लेख किया है | यद्यपि सूफी लोग स्वतंत्र प्रकृतिवाले और चितनशील थे तथापि वे इस्लाम के घेरे में ही रहना चाहते थे । वे घर सूपरी-सिद्धांत धर्मों के प्रति उदार थे उनका श्यादर करते थे किंतु निष्ठा आर श्रद्धा इस्लाम में दी थी । जायसी जैसे उदार मुसलमान ने भी इस्लाम घ्मे को हो महत्ता दी है ( सो बड़ पंथ मुहम्मद केरा । ) साधारण मुसलमान में .कुरान की चआज्ञाओं को विधिवाक्य के रूप में मानने की प्रन्नत्ति रहती है। वह उसमें अल का दखल नहीं चाहता है। सूफ़ं। लोगों का मत मावना-प्रधान है किंतु उसमें स्वतंत्र चिंतन पर्याप्त मात्रा में है । वे अपने विचारों की पुष्टि के लिए कुरान शरीक्र का पोषण ढँढ़ निकालते हैं ठीक उसी तरह से जिस तरह हमारे यहां के .दाशनिक श्रुति के झधिकार-क्ेत्र से बाहर नहीं जाते । हां शराब को लेकर प्रतीक रूप और कुछ-कुछ वास्तविक रूप से भी शरीयत की अझवहेलना की गई है । वह एक आध्यात्मिक मस्ती और स्वतंत्रता का प्रतीक है । इसी प्रकार बुत उनके यहां प्रेमपात्र का प्रतीक है। शराब ौर बुतपरस्ती को जो सुसलमानों के यहां वष्ये है प्रतीक-रूप से अपनाकर शरीयत से स्वतंत्र द्ोने का उन्होंने मानसिक तोष प्राप्त किया । बैसे तो दुनिया के दार्शनिक विषय तीन ही हैं--ईश्वर जीव और जगत । इन तीनों की अन्विति न्रह्म में हो जाती हैं । इन तीनों में जीब छौर त्रह्म या ईश्वर का संबंध मुख्य है । मुसलमानों के एकेश्वरवाद में अल्लाह की मुख्यता है किंतु उसी के साथ मुद्म्मद्‌ रसूल-अल्लाह को भी प्रधानता दी गई है । कुरान शरीफ में झल्लाद का चणुन कई रूपों में आया है। (१) एक देश-विशेष (स्व या श्ञासमान में रहदनेवाले व्यक्तित्व-प्रधान रूप में जो रसूल से बातचीत भी करता है शर (९) सावंदेशिक और व्यापक रूप में ।




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