बापू | Bapu
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.54 MB
कुल पष्ठ :
80
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)छोभ-दस्यु छूट-पाट करके बस्ख-घन ले गया है हरके । कितने युगों की घनीभूत रात जानें कब होगा प्रात ? दीखता अकाव्य ही विकट ध्वान्त | नूतन शताब्द-शिंशु-हेतु वे सभी अशान्त । हो न अरे सन्तति का सवस्वान्त रात्रि बढ़ती ही प्रति पठ है । रात्रि कट जाय तब वह भी सफल है - पाकर प्रकाशसणि | हायरी प्रकाशमणि --कोन खनि घारण किये है तुभ्द अन्तर में पुष्टिकर उर के अजख्र दुग्ध-सर में ? बहुत युगों के बाद पूर्व-पुण्यस्थल की आशा अहा | आशा वह झलकी । ९ ९ ९ ७... .. न धर देखो तो सुना ता धय धरक
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