शिक्षा - शास्त्र | Shiksha - Shastra

Shiksha - Shastra by एम. डी. ज़फ़र - M. D. Zafar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१२ शिक्षा-शास्त्र जाता है श्रोर उसके चरित्र को बनाने की क्रिया प्रयोग में आती है ॥ स्कूल के यह दोनों काम मिलकर शिक्षा को पूर्ण करते हैं । प्ररन १--शिक्षा से कया तात्पये समझते हो ? शिक्षा की परिभाषा. एक अम्राप्य वस्तु है क्या तुम इस विचार से सहमत दो ? यदि नहीं तों क्यों ? संक्षेप में लिखों । २-- शिक्षा का उददश्य यह है कि वह बच्चों की प्राकृतिक प्रव त्तियों को उनकी झन्वेषणात्मक शक्ति को चिधायकता को चिक सेत. कर दे । इसकी संक्षेप में विवेचना कौजिये । ३--्ापके विचार में कौन-कौन सी बातों पर शिक्षा के विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति निभर है ? (सी० टी०) ४-- बच्चा एक खनिज पदाथ के रूप में है । इस मत पर संक्षिप्त विवेचना कीजिये और दिखाइये कि किस तरह यह घिचार शिक्षा के उददश्यों पर प्रकाश डालता है। सी० टी० रल० टी० प--तुम्हारे विचार में शिक्षा के उद्देश्य क्या होने चाहिये ? हमारी वतमान शिक्षा इन उद्देश्यों को कहाँ तक पूरा करती है? (नामंल) इ-- हमारी शिक्षा का उद श्य यह होना चाहिये कि हम व्यक्तिगत योग्यता को ऐसे कार्यों में काम में लायें जो समाजी महत्व रखते हों इस बात के विभिन्न पहलुओं पर संक्षिप्त विवेचना कीजिये । एल० टी०] उ--झाजकल शिक्षा का उद्देश्य का विषय क्यों इतना गहन विषय समझा जाता है ? कुछ ऐसे उद्देश्यों पर विवेचना श्रौर झालोचना कीजिये जिनको आजकल माना जाता हे और जिनका पक्ष लिया जाता है। टी० एल०]




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