पुराने और नये धर्म्म नियम | Purane Aur Naye Dharma Niyam

Purane Aur Naye Dharma Niyam  by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१४ साध्यधि । पर । ते ने क्यों कहा लि यह मेरो घद्धिन है में ने उसे ध्ापनी स्त्री कर लिया सा है यर शव श्रपनो स्त्री, का लेकर चला जा ॥ २०) शोर फ़िरानने झपने जनें का उस के विपय में पास दिये श्ार उन्दें ने उस का छोषश उस की स्त्री का उस सच समेत जा उस का था ब्रिदा कर दिया ॥ .. « । ' (इज्ञाहीस सार लूत के धाराग दास होने का धर्पन,) १३-+ 'लूच भनार स्त्री श्रीर श्रपनो सारी सर्पत्ति समेत सास को भी संग्रा लिये हुए मिख को छोड़कर फनान्‌ के दक्िखिन देश में ॥ २ । शान्रास से बकरी गाय सेल श्रार सोने रूपे का त्रढ़ा धनो था ॥ ३ | फ़िर घट दक्िखिन देश से चलकर घरेसेल के पास उसो स्थान का पहुंचा जद उस का सत्र पादले पड़ा था लो स्रेतेल श्रार से के घ्ोच में हे ॥ ४ । बच उसी बेदी का स्थान है ला उस ने घद्दां प्रचिले बनाई थी घर घद्ां श्रन्नास मे फिर यद्दीवा से प्राध॑ना किडे ॥ ४ । छोर लत जा ष्यन्नास के साथ चलता था उस के भी मेड वकरों गाप बल धार तंत्र थे॥ ६। से चस देश मे उन दोनों को न हा सकों कि वे रकट्टे रहें ब्योंकि उन के बहुत घन घा यहां तक कि वे रकट्टे न रद सके ॥ 9 । सा श्रोर लत की मेड वकरों गाय बेल के चरवादों में भगड़ा और उस समय कनानी श्रीर परिष्ञी लोग उस देश से रदते थे ॥ ८। तब ग्रन्नास लत से क्ष्ने लगा मेरे श्रार तेरे बीच श्रार मेरे श्रार तेरे के ब्ोच में भागड़ा न दाने पार क्योकि इम भाई- घेघ हैं ॥ ९ । बया सारा देश तेरे साम्दने नहीं सा मुझ से अलग दा याद त सार जास ता मे दिनो शोर जाऊंगा शरीर यदि ते दछिनी शोर जार ता में वाई सार जाऊंगा ॥ १० । तब लत ने प्रांख उठाकर धदन नदों के पासयालो सारो का देखा कि वह सब सिंचो घुडे दै । जब लों नें ,सदास श्रोार प्रमारा को नाश न किया था तब लों साश्नर्‌ के मा तक वच्च तराई यहावा क्रो घारी श्लार मिस देश के समान उपजाठ थी ॥ उत्पत्ति । पट १९। से लत श्रपने लिये यदन को शारी को चुनके प्ररख सार घला पार धे दसरे से श्लग हा गये ॥ १२ । श्रन्नाम ता कमान देश से रद पर लत उस क्षे नगरों में रदमे लगा छापना संघ सदोस के निकट खड़ा किया ॥ १५ । सदोस के लेगग यहावा को लेखे में घर द्छ्र झ्लोर पापी थे ॥ १४ । जब लत श्रब्रास से श्लश से गया उस के पीछे थडावा ने श्रन्नास से कद्दा चठाकर जिस श्पान पर त दे यहां से उत्तर दक्िखिस परव पाच्छम चारों शोर दद्धि ब्यर ॥ १४ । क्योकि खितनी भमि तुमे दिखाई देती है उस सब को मैं तुरक थार सेरे वंश को युग युग के लिये दंगा ॥ १६ । श्रार में तेरे वंश को पृथ्वी को ध्ल के किनका की नाइ बहुत करूंगा यहां ला कि जा काई पृथिवो की धूल के फिनका क्षा शिन सकते वही तेरा वंश भी रिन सकेगा ॥ १७ । उठ दस देश को लम्बाई स्रौर चार में चल फिर क्योंकि में उसे तकी को दंगा ॥ प८ । इस को पोछे छात्रास श्रपना तंत्र उखाउके मसें के बांजों के बीच जो देब्रान में थे जाकर रचने लगा छोर बद्दां भी की रक्त घेदी बनाई ॥ (इल्ाहीम के पिलय थार सेल्कीसेदिक के दर्शन देें का वर्यन है २४० शिनर के राजा श्रसापेल श्रार र्ल्लासार के राजा रलास करे राजा कदोलोाग्रामेर स्रीर शायोस के राजा प्तदाल॒ क दिनों में बया इुग्ा कि, २ । ले सदोास के राजा घेरा स्यमारा के राजा विश घ्रार घ्दूमा के राजा शिनाब्र और सबायोस के राजा शेमेबेर्‌ छोर बेला जा सोत्मर भी कद्ावता है चस के राज्ञा के साथ लड़े ॥ $ । इन पांचों ने सिट्टोस नाम तराइं मे ला खारे ताल के पास है रक्मा किया ॥ ४। बारह बरस लों ता ये कदोलाश्यासेर के श्धोन रहे पर बरस में उस के विरुद्ध उठे ॥ ४ । से चैाददघ वरस में कदोलीादमेर शरीर उस के संगी राजा थाये श्वौर द्रशूतरोत्कर्नेस में रपाइयें झा शरीर घास सें जलिया को स््रेर शायव्मियातेस में सासयों को, ६ । शरीर सेंड नाम प्रदाड से रियो




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