आधुनिक दर्शन की भूमिका | Adhunik Darshan Ki Bhumika

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : आधुनिक दर्शन की भूमिका  - Adhunik Darshan Ki Bhumika

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about संगमलाल पाण्डेय - SangamLal Pandey

Add Infomation AboutSangamLal Pandey

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
श्प आधुनिक दर्दन की भूमिका योरोप में आधुनिक दर्शन ही सर्वप्रथम योरोप के कई देशों के सहयोग से उत्पन्न हुआ । इसके पूर्वे प्राचीनकाल में वहाँ यूनानी दर्शन था जो केवल यूनान की देन था मध्ययुग में वहाँ अरबों और ईसाइयों का दशन था इनको योरोपीय दर्शन नहीं कहा जा सकता । वास्तव में इनके समय में योरोपीय संस्कृति और सभ्यता का जन्म ही नहीं हुआ था । योरोपीय संस्कृति और सभ्यता का मेरा उसी समय से घुरू हुआ जिस समय आधुनिक दर्शन का उदय हुआ। आधुनिक दद्न के सस्थापकों में से डेकार्ट फ्रांसीसी था स्पिनोजा हालेंड का रहने वाला था और उसका परिवार पूर्तगाल तथा स्पेन से वहाँ गया था लाइबनीज जर्मनी का निवासी था लाक अंग्रेज था बकेले आयरलैण्ड का रहने वाला था हम स्काटलेण्ड का निवासी था. और काष्ट प्रशिया का निवासी था । इन सात देशों के इन सात दार्शनिकों ने केवल आधुनिक दर्शन को ही उत्पन्न नहीं किया वरन्‌ योरोप की संस्कृति और सम्यता के निर्माण में भी मौलिक रूप से भाग लिया । आज का योरोप बहुत कुछ उनका ही बनाया हुआ है । आधुनिक दशन शुद्ध योरोपीय दर्दन है । २ आधुनिक दर्शन और आधुनिक विज्ञान जिस समय आधुनिक दर्शन का उदय हो रहा था उसके पहले से आधुनिक विज्ञान पनप रहा थ। । यह कहना अनुचित न होगा कि आधुनिक विज्ञान के ही कारण आधुनिक द्नन का जन्म हुआ । कोपरनिकस (१४६३-१४५४२) ने सिद्ध किया कि पृथ्वी सूयं के चारों ओर घूमती है । उसके पूर्व टालमी का विचार था कि पृथ्वी स्थिर है और विदव का केन्द्र पृथ्वी है। कोपरनिकस ने विद्व का केन्द्र सूये को सिद्ध किया और कहा कि पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा कर रही है और अपनी घुरी पर अपना भी चक्कर लगा रही है । उसने टालमी के खगोल-विज्ञान को बिलकुल उलट दिया । उसकी खोज के आधार पर केपलर (१५७१-१६३०) ने नक्षत्रीय गति के तीन नियम खोजे जिन्हें केपलर के नियम कहा जाता है । ये नियम हैं (१1 प्रत्येक नक्षत्र सु के चारों ओर घूम रहा है और उसके घूमने का मार्ग अण्डाकार है । अण्डाकार आकृति के दो केन्द्र होते हैं । उनमें से एक केन्द्र सूय है । केपलर के पुबें माना जाता था कि प्रत्येक नक्षत्र का मागें गोलाकार या वूत्ताकार है । (२) नक्षत्र की गति अपनी कक्षा म॑ं इस तरह बदलती रहती है कि नक्षत्र के केन्द्र और सूर्य के केन्द्र को मिलाने वाली रेखा बराबर क्षेत्रफल पार करती है । (३) सुयं के चारों ओर परिक्रमा करने में प्रत्येक गक्षतर जो समय लेता है उसका निश्चित सम्बन्ध सूर्य से उस नक्षत्र की दूरी से रहता हैं । आगे चलकर केपलर के इन नियमों के आधार पर न्यूटन (१६४२-१७ २७) ने गुडुत्वाकषण के नियम का आविष्कार किया और गलीलियो ( १४५६४-१६४२ )




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now