राष्ट्र - निर्माता तिलक | Rashtra Nirmaataa Tilak

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Rashtra Nirmaataa Tilak by डाक्टर भगवानदास - Dr. Bhagwan Das

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ट्द राष्ट्र सिर्साता तिलक उन्हें टोकने वाला हुकबका कर रह गया गाँवी जी में भी श्र्थी कंधे पर उठाई मौलाना शौकत ली सरला देवी तथा लाला लाजपतराय जुलूस के साथ धीरे धीरे चल रहे थे 1 शब के साथ पचास सजन-संडली गाते हुए चक् रही थीं । लोकमसान्य की जय? के नारे से श्याकाश दिलसे लगा 1 सायंकाल छः बजे श्रर्थी चौपाटी पर पहुँची । चौपाटी में शव के जलने का यह पहला शवसर था। चंदन की चिता हैथार थी । उन का शब उस पर रक्खा गया शब के साथ जो जुलूस चला था चहद डेढ़ मील लम्बा था। उसमें दो लाख आदमी थे | शब पद्मासन की मुद्रा में रखा गया और चारों ओर से पुरष्पों से ढक दिया गया। जभी उनके पुत्र दाह संस्कार करने को झागे बढ़े उसी समय तिलक महाराज की जय से श्राकाश गूंज उठा । ददन्तर लाला लाजपतराय्र ने एक महत्व पूरी साषण दिया | झ्ाग में लपरैं उठी और सिल्क का शरीर पंच मू्ों में मिल गया । लोग एक दूसरे से पूछ रहे थे-- ाव तिकक के बाद मारत का नेदृस्व कौन करेगा ऊँची ऊँची लपटों की रोशनी चारों श्रोर फैल गई पर लोगों की आँखों के सामने झमी अ थेरा ही था विज्ञक की सृत्यु पर गांधी जी अनायास बोल उठे-मेरा सबसे मज़बूत सहारा टूट गया । र६ जुलाईसन १६२० को तिजक मे यह झंतिम शब्द कहे थे- जिब तके स्वराज्य नहीं मिलता भारतवर्ष की उन्नति नहीं हो सकती । बह हमारे जीवित रदने




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