बंधन और मुक्ति | Bandhan Aur Mukti

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दर्शक - Darshak

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श्यामू संन्यासी - Shyamu Sainasi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बम्थन श्र मुक्ति समस्या का हल सोचते-सोचते महाराजा मन ही मन. बड़बड़ाये-इन तीसें झफमरे को ही क्यों न हटा दिया जाय जो कह हुधा श्र हो रहा है उसके लिए मेरी तो कोई जवाबदारी दी नहीं है । सारी जवाबदारी तो श्रेग्रेजों द्वारा नियुक्त किये गये उन तीन श्रफसरों की है। सारा राज्य उन्हीं की मुट्ठी में है। हुकुमत भी वे ही करते हैं फिर सुक्ते क्यों परेशान किया जा रहा है मुकये सवाल पूछने की. जरूरत १ निकाल. बाहर करो उन तीनों भंग्रेज श्रफसरां को यह विचार झाते ही. महाराजा. खिलखिलाकर दैंस पड़े । उन्हें बड़ा भ्रचरज हुआ कि इतनी सादी-सी बात भी लाट साहब की समभक में न थाई सारा दोष तो है इन अफसरों का वह श्रपने इन्द्ीं विचारों में तल्जीन थे। इसलिए कब जॉनसन भाया भर सलाम कर खड़ा हो गया इसका उन्हें पता तक न चला । दुजुर ने क्यों याद फरमाया है १ लाट साहब को जिख दो कि रियासत में जो कुछ हुआ उसके लिए नतो मैं जिम्मेबार हूँ और न मेरी रियाया ही । उसकी सारी जिम्मेवारी उस तीन झफपरों पर हें जिन्हें कम्पनी सरकार ने रियासत का इन्तनासम करने के शिये नियुक्त किया है । विद्दाजा उन्हीं को यदी से हटाना चाहिये । हुजूर ने क्या फरमाया १ श्रीवधनदेव ने भ्रपनी बात फिर से दुदरा दी । ऐसा लिखने से तो गवनर जनरल की तौहीन होगी । भच्छा तो जिस तरइ तौद्दीन न दो वेसे लिखो । लेकिन हुजूर वाला गलती तो हमारी ही हैं। इसारी ? क्या मतलब है ? झ्पनी । अपनी रियासत की । सन्धि की. यार्तों में हमने झंग्रेजों की जानो माल की द्विफाजत करने का बादा झिया है । रियासत में दो श्रेग्रेजों का खून दोने से वे शर्ते भंग हुई हैं ।




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