टेम्पुल्स ऐज सेंटर ऑफ़ एजुकेशन इन एन्शियेंट इण्डिया | Temple As Centres Of Education In Ancient India

Book Image : टेम्पुल्स ऐज सेंटर ऑफ़ एजुकेशन इन एन्शियेंट इण्डिया - Temple As Centres Of Education In Ancient India

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about नारायण शुक्ल - Narayan Shukla

Add Infomation AboutNarayan Shukla

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
बीच में सद्भाव स्थापित है | त्यागवृत्ति सम्पन्न तथा धन की तृष्णा से परे आचार्य ही भारतीय जीवन पद्धति में शिक्षक रहे हैं | महाकवि कालिदास ने महर्षि वशिष्ठ के लिए कुलपति शब्द प्रयोग किया है। इसका अर्थ था जो १० हजार शिष्यों को अन्न-पान आदि की सुविधा प्रदान करे और शिक्षा भी दे | आचार्य अपने शिष्य को उसके उपनयन के पश्चात शिक्षादि अंगों के साथ तथा रहस्यों की व्याख्या के साथ समग्र वेद की विद्या प्रदान करता है। उपाध्याय वह कहलाता था जो कि अपनी आजीविका के लिए शिष्यों को वेद के एक अंग की अथवा वेद के सभी अंगों की शिक्षा देता था। जो यजमान के यहाँ गर्भाधान आदि संस्कारों को विधिपूर्वक कराता है और शिष्यों के भोजन का भी प्रबन्ध करता है उसे गुरु कहते थे। उपनयन की विधि सम्पन्न हो जाने पर गुरु अपने शिक्षा को भू भुवः स्व का उच्चारण कराकर वेद पढ़ाने और अन्य दैनिक क्रियाओं को बोध करावें। गुरु शब्द की व्युत्पत्ति है गु हृदयान्धकारम्‌ रावयति पूरीकरोतीति गुरु । श्री भगवान्‌ तो सभी के गुरु हैं। ब्रह्माजी ने सर्ग के आरम्भ में श्री विष्णु भवाचान से ही वेद-विद्या प्राप्त की थी। श्री कृष्ण ने गीता में कहा है - गुरुभाव एवं गुरु की कृपा से ही तत्वज्ञान प्राप्त होता है। शिष्यों की भांति गुरुओं को भी कर्तव्यपालन के निर्देश थे | मनु जी विद्या सम्बन्ध को एवं आचार्य को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं । जो धर्म गुण सेवी श्रेष्ठ आचार पदार्थ को ग्रहण करे दुर्गुण दुराचार को त्याग कर ईश्वर-शास्त्रादि में श्रद्धा करे वही पंडित है। शिष्य के पाप का भी भागी गुरु होता है अतः योग्य शिष्य का चयन करना आवश्यक होता है। कालिदास की मान्यता है कि उत्तम पात्र को दी गयी शिक्षा अवश्य उत्कर्ष प्रदान करती है। ऋषि विश्वामित्र ने कहा है कि सन्ध्या व स्नान के बाद ही अध्ययन करना चाहिए। यह नियम था कि शिष्य को हाथ में समिधा लेकर श्रोत्रिय और ब्रह्मनिष्ठ गुरु के पास जाना चाहिए। ब्रह्मवेला दत्तात्रेय जी ने २४ गुरुओं से शिक्षा प्राप्त किया था। ये गुरु थे पृथ्वी वायु आकाश जल चन्द्रमा अग्नि सूर्य कबूतर अजगर 3]




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now