पूर्व एशिया का आधुनिक इतिहास खंड 1 | Purva Asia Ka Adhunik Itihas Khand 1

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Purva Asia Ka Adhunik Itihas Khand 1  by हेराल्ड एम. विनाके - Herald M. Vinake

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पहला अध्याय चीन मंच शासन-काल में (१) देश और उसके आर्थिक साधन सुदूर पूर्व के देशो का आधुनिक इतिहास तब से आरम्भ होता है जब से वे अपने दीरघकालीन एकान्त से निकल कर पब्चिमी ससार के सम्पर्क मे आये । इस इतिहास का निर्माण अधिकांदत उन बाहरी शव्तियों द्वारा हुआ है जिनसे इनमे से प्रत्येक देवा की पुरातन संस्क्ृतियों तथा प्राचीन और इृढता से स्थित सस्थाओं का सुघार तथा रूप परिवत्तन हुआ है। यह ऐतिहासिक विकास तथा तज्जनित फरिवतेन समझने के लिए आधुनिक युग के प्रारम्भ में समाज की सामान्य परिस्थिति समझ लेना आवश्यक है। फलत सन्‌ १८४२ के बाद के चीन के इतिहास की रूपरेखा प्रस्तुत करने के लिए आधुनिक-युग के पुर्वे वीन के बहुसुखी जीवन का वर्णन करना आवश्यक है । पूर्वे के पश्चिम से समागम के प्रारम्भ में चीनी सास्राज्य के अग थे (१) १८ प्रान्तो वाला मुख्य चीन (२) मंचूरिया जो अब तीन प्रान्तो में विभाजित है (३) तिब्बत मगोलिया तथा सिंक्यांग-जैसे अधीन क्षेत्र जिनसे सघन पर्यवेक्षणीय संबंध स्थापित थे तथा (४) कोरिया और अनाम-जैसे केवल नाम भर के सामन्त राज्य । इन सामन्त राज्यों को छोड़कर किन्तु अधीन राज्यों को लेकर चीन का कुल क्षेत्र फल ४९ ७७ १७० वरगसील था--यह संहत क्षेत्र पोर्टों रीको हवाई तथा अलास्का शामिल करके भी अमरीकी सयुक्‍्त राज्य के क्षेत्रफक से ७ ०५ ९४७ वगंमील अधिक है। इस क्षेत्र की भौगोलिक और एक सीमा तक जलवायुसंबंधी स्थिति यह कहने से भी स्पष्ट हो जायगी कि उत्तर में वैकुवर और दक्षिण में सैक्सिको नगरों के उष्ण और दीत जलवायु की पराकाष्ठाएँ वहाँ उपलब्ध है। इस प्रकार स्फ्ट हो जायगा कि चीन को बड़ा भाग उत्तरी शीतोष्ण कटिबंध में स्थित है पर वहाँ उष्ण तथा अतिशीत कटिबंघो का जलवायु भी प्राप्त है । इस भौगोलिक व जलवायु बैविध्य से चीन के कृषि जीवन में भी यथासम्भव अनेकता हैं और चावछ कपास चीनी चाय गेहूँ जौ मोटे अनाज व दूसरे अन्न आदि की उपज उपलब्ध है। इस उत्पादन विधिघता के फलस्वरूप चीनियों ने न केबल अपना भोजन प्रात किया वरन्‌ वस्त्र औजार आभूषण आदि की सीमित फेक




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