मलेरिया मोतिजरा का इलाज | Malereya Motijra Ka Elaj

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Malereya Motijra Ka Elaj by वैधाचार्य उदयलाल महात्मा - Vaedhachaarya Udaylal Mahatma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ऐे४ ) मनुष्य और चिकित्सक भलीमाँति समक सकता है कि लंघन कब तोड़ना चाहिए। - साधारणतया लंवन उस समय तोड़ना चाहिए जब बुखार उतर जाय शरीर का तापमान करीब & ८ डिगरी हो जाप, रोगी की जीम साफ हो जाय, मुह का कड़वा न रदे'और कुछ भूख मालूम देने लगे इन सक्णों के उत्पन्न होने पर समभक लेना चाहिए कि शरीर अपनी सफाई का काम पूरा कर चुका है । दोपों.का पांचन हो चुका हैं और शरीर पुनः निमंल, स्वच्छ, विकार रहित घन गया है । जब तक उपरोक्त लक्षण उत्पन्न न हो तब तक अंन्न आदि कोई वस्तु बीमार को खिंलाना केरल पखता है और रोगियों को भी चाहिए, कि अपनी झन्त- रात्मा.की पुकार सुने और बिना भूख हरगिज कुछ न खायें चाहे अन्न हो चाहे दवा अन्पया उन्हें बदुत पछता- ना पड़ेगा और संभव है ये अपनी जान से भी हाथ .घो बेठें। आँतों की सफ़ाई ब उनमें स्थित मल को निकालने के लिए रोजाना साधारण गरम जल का एनिमा अवश्य देना चाहिए । एनिमा दिन में एक या जरूरत पड़नें पंर दुधारो 'भी दिया जा सकता है, परन्तु सबसे अधिक ध्यान में रखने की बाते यह 5 कि तेज़ बुखार में .चढ़ी चुखार में) अर्थात्‌ जब तापमान अधिक हो उस समय एनिमा




User Reviews

  • Yashvi Jain

    at 2022-04-22 07:41:30
    Rated : 10 out of 10 stars.
    I m interested in purchasing the book of veda acharya udailal MMahatma give me information about these books
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