धन्वन्तरि वनौषधि भाग 2 | Dhanvantri Vanoshdhi Part 2

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Dhanvantri Vanoshdhi Part 2  by वैधाचार्य उदयलाल महात्मा - Vaedhachaarya Udaylal Mahatma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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. आयुर्वेद के उत्तमो्तम पठनीय ग्रन्थ प्रत्येक श्रन्थ उंच कोटि के विद्वानों द्वारा संपादित है। वैद्यों तथा चिकित्सक-समुदाय को चाहिए कि इन थन्थों की एक-एक प्रति मैंगवा कर अवकाश के समय उनका अध्ययन कर श्पने ज्ञान की उत्तरोच्तर वृद्धि करते हुए '्रपने चिकित्सा-व्यवसाय में सी पूरी उनति कर यश के सागीवनें। . *.. - ' ।. ग्रत्येक ग्रन्थ पर भारत के सर्सज्ञ विशिष्ट विद्वानों, पत्न-पत्रिकाओं तथा शिक्षण संस्थाओं ' द्वारा श्रनेकानेक उत्तम-उत्तम सम्मतियों प्राप्त हुई हैं। क -. .सर्पादक ५ खगदर्तत्र-दा० रमानाथ द्विवेदी । वे्यों तथा विधार्थियों के छिए समान उपयोगी अन्थ । ०-७५ , २ अख्ननिदानम्‌--सान्वय विद्योतिनी हिन्दी टीका सहित । आयुर्वेद शाख में निदान के लिए श्रेष्ठ अन्थ १-०० $ असिनन्दनय्रन्थ ( सचित्र >-( कविराज श्री सत्यनारायण शाखी पद्मभूपण > ः १५-०७ ४ अभिनव चूटी दर्पण--( सचित्र ) सम्पादक-वनस्पति-विशेषज्ञ श्री रूपलाठजी वेश्य। सहज सें पहचानने , योग्य अनेकानेक चित्रों से विभ्ूपित । चनस्पत्तियों से चिकित्सा का सर्वोत्तम झन्थ 1 १०-०० ५ असिनव विकति विज्ञान-( सचित्र ) आचार्य श्रीरघुवीर प्रसाद त्रिवेदी । २२-०० द अभिनव शरीर क्रिया विज्ञान--( सचित्र ) भाचार्य प्रियघत शर्सी । परिवर्द्धित द्वितीय संस्करण ५-9 ७ अष्रादसंग्रह--श्री गोवद्धनशर्मा छांगाणी कृत 'अर्थप्रकाशिका' हिन्दीटीका सहित । सूत्रस्थान । ८-०० ८ अषटाइदृदयम--( गुटका ) भागीरथी टिप्पणी सहित । , छुन्याद ९ अ्राइडद्यम---विद्योतिनी दिन्दी व्याख्या विमर्श सहित । व्यास्याकार-श्री अन्रिदेवगुप्त विद्यालंक्वार । आचार्य वैद्य यदुनन्दन उपाध्याय, '्वारा संशोधित परिवर्दित सटिप्पण तृतीय संस्करण । ... - 9५-2० ३० औआयुर्वेद की कुछ प्राचीन पुस्तके--आाचाय मियघ्रत पार्मा िन्रेज ११ आयुर्वेद प्रदीप--( आयुर्वेदिक-प्लोपेथिक गाइड ) 'संपादक--ढॉं० गंगासहाय पाण्डेय '.. , * १७-०० १२ 'आयुर्ेदप्रकादः--जाचाये गुलराज शर्मा कृत संस्कृत-हिन्दी-ब्यास्या सहित। परिवर्सित संस्करण... ' शु२-छु6 १३ आायुर्वेदविशानम--विधोतिनी हिन्दी टीका परिशिष्ट सहित । ह कस १४ आयुर्वेद में मूत्रोत्पत्ति की कर्पना-( अंग्रेजी ) ढा० घाणेकर 1 के धनुष '. ३५ जायुर्वेदीयपरिमापा--गिरिजादयालल शक विरचित अभिनव प्रकाशिका हिन्दी टीका परिशिष्ट सहित. शे-सण , १९ आयुर्वदीय यन्त्र शस्त्र परिचय--( औ-प्रणार०0ा० 3िपाह०छी उाअंक्रपाएलपाख ) ८५. चित्रों से ।. विभूपित 1 आयुर्वेदाचाय सुरेन्द्रमोहन । क ८. _.. न्नखर १७ सासवारिष्विज्ञान--आचाय पसघर स्‍्ता । इसमें मद्य, सुरा, प्रसन्ना भादि का वर्गीकरण शास्त्रीय विधि - «। से किया गया है । नवीन प्रकाशन । गहन १८ प्लोपेथिक मिक्श्चस--ढा० राजकुमार हिवेदी * #-०७०७ , एव आऔपसर्मिक रोग--ढा० घागेकर । इसे आवृत्ति में अनेक नये रोग समाविष्ट किये गये हैं । प्रथम भाग १०-०० : द्वितीय भाग १७-७० २५ (एणणफृक्षा्ीए6 छिपाएए 6 जी. ैप्रपतश०५8 प०8०1०8४ 0 िए छिक्षाहाका .. /. ' 1-00 . १ काकचण्डीश्वरकल्पतंत्रमू--दिन्दी टीका सहित । २-०० २२ कामस्ूज्रमूं--जयमंगछा संस्कृत टीका तथा दिन्दी टीका सददित॑ । ः न यन्त्रस्थ २३ काय चिकित्सा--ढडा० गड्टासहाय पाण्डेय ।.. * ः शीघ्र प्रकाशित होगी । ४ काय चिकित्सा--( नायुर्वेदीय चिकित्सा के मूठभूत सिद्धान्त तथा उनका क्रियात्सक रंचरूप आयुर्वेद बृहस्पति श्रीरामरप्त पाठक । ् ः १२-५० प्र उ५ काश्यपसंडिता--विद्योतिनी दिन्दी टीका, पं राजयुरु देमराज कृत संस्कृत-दिन्दी ' उपोद्धात सदित १६-०० , 5१ कौमारशृत्य ( नव्य,यालरोग सहित आचार्य रघुवीरप्रसाद त्रिवेढ़ी । संशोधित द्वितीय संस्करण. ८-७०




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