बौद्ध धर्म क्या कहता है | Bauddh Dharm Kya Kahata Hai

Bauddh Dharm Kya Kahata Hai by कृष्णभट्ट - Krishnabhatt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१६ बोद्ध धर्म क्या कहता है ? मध्यम मार एक दिन कुछ स्त्रियाँ किसी नगरसे लौटती हुई वहाँसे निकलीं जहाँ सिद्धाथ तपस्या कर रहे थे । उनका एक गोत सिद्धाथंके कानमें पड़ा चीणाके तारोंको ढीला मत छोड़ दो । ढीला छोड़ देनेसे उनसे सुरीला स्वर नहीं निकलेगा । पर तारोंको इतना कसो भी मत कि वे टूट जायें ? बात सिद्धार्थको जँच गयी । वह मान गया कि नियमित आहार-विहारसे ही योग सिद्ध होता है । अति किसी बातकी अच्छी नहीं । मध्यम मार्ग ही ठीक होता है । सुज्ाताकी खीर वैशाखी पूर्णिमाकी बात है । सुजाता नामकी स्त्रीको पुत्र हुआ । उसने बेटेके लिए एक वथवृक्षकी मनौती मानी थी | वह मनौती पुरी करनेके लिए सोनेके थालमें गायके दूधकी खीर




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