अमृत प्रीतम - चुने हुए कहानियां - चुने हुए निबंध | Amrita Pritam - Chunee Hue Kahaniyan Chune Hue Nibandha

Amrita Pritam - Chunee Hue Kahaniyan  Chune Hue Nibandha by अमृता प्रीतम - Amrita Pritam

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कैसे पूजती है पाँव ? लड़की का बाप जाता है फूलों की एक थाली ले जाता है साथ में रुपये भर लड़के के आगे रख देता है । यह तो एक तरह से बाप ने पाँव पुज लिये । लड़की ने कसे पूजे ? लड़की की तरफ़ से तो युजे । पर लड़की ने तो उसे देखा भी नहीं ? लड़कियाँ नदी देखती । लड़कियाँ अपने होनेवाले खाविन्द को नहीं देखतीं ? धर कोई भी लड़की नही देखती ? ना।. पहले तो अंग्री ने ना कर दी पर फिर कुछ सोच-सोचकर कहने लगी जो लड़कियाँ प्रेम करती है वे देखती हे । तुम्हारे गाँव मे लड़कियाँ प्रेम करती है ? कोई-कोई । जो प्रेम करती है उन को पाप नहीं लगता ? मुे असल में अंगूरी की वह बात स्मरण हो आयी थी कि औरत को पढ़ने से पाप लगता है। इसलिए मैं ने सोचा कि उस हिसाब से प्रेम करने से भी पाप लगता होगा । पाप लगता है बड़ा पाप लगता है। अंगूरी ने जल्दी से कहा । अगर पाप लगता है तो फिर वे क्यों प्रेम करती हैं ? जे तो बात यह होती है कि कीई आदमी जब किसी छोकरी को कुछ खिला देता है तो वह उस से प्रेम करने लग जाती है। कोई क्या खिला देता है उस को ? एक जंगली बूटी होती है । बस वही पान में डालकर या मिठाई में डालकर खिला देता है । छोकरी उसे प्रेम करने लग जाती है। फिर उसे वही अच्छा लगता है दुनिया का ओर कुछ भी अच्छा नहीं लगता । सच ? मैं जानती हूँ मैं ने अपनी आँखों से देखा है । किसे देखा था ? मेरी एक सखी थी । इत्ती बड़ी थी मेरे से । फिर ? फिर क्या ? वह तो पागल हो गयी उस के पीछे । सहर चली गयी उस के साथ । यह तुम्हें कैसे मालूम है कि तेरी सखी को उस ने बूटी खिलायी थी ? 6 | अमृता प्रीत म चुनी हुई कहानियाँ




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