भारत - विभाजन की कहानी | Bharat - Vibhajan Ki Kahani

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : भारत - विभाजन की कहानी  - Bharat - Vibhajan Ki Kahani

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

एलन कैम्पबैल जान्सन - Alan campbell Johnsan

No Information available about एलन कैम्पबैल जान्सन - Alan campbell Johnsan

Add Infomation AboutAlan campbell Johnsan

यशपाल जैन - Yashpal Jain

No Information available about यशपाल जैन - Yashpal Jain

Add Infomation AboutYashpal Jain

रनवीर सक्सेना - Ranveer Saxena

No Information available about रनवीर सक्सेना - Ranveer Saxena

Add Infomation AboutRanveer Saxena

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
श्ध भारत-विभाजन की कहानी स्वीकार करेंगे जब भारतीय-दल स्वत अपनी दार्तों के साथ उन्हें भारत आने का निमंत्रण दें । जो हो मि. एटली ने विस्तार के साथ समझाया कि यह आखिरी शर्तें मुनासिब नहीं है लेकिन इस सिद्धान्त को पूरी तरह स्वीकार किया कि अगर भारतीय दल एक संविधान और एक सरकार के रूप पर एकमत हो जायं तो समझौते के बावजूद वह किसी निश्चित तारीख अथवा उससे पहले भी ब्रिटिदय राज्य की समाप्ति कर देंगे । माउंटबेटन को राजी करने के लिए सरकार अधिक-से-अधिक सीमा तक बढ़ने को तैयार थी । सर स्टेफड क्रिप्स ने कहा कि भारतीय नेताओं और नये वाइसराय के बीच वह पहले से ही आवश्यक संपके की व्यवस्था कर देंगे और सरकारी घोषणा से पूर्व ही इस नियुक्ति के बारे में वह उनकी सहमति प्राप्त कर लेने की पूरी कोशिश करेंगे । क्रिप्स ने तो यहां तक कह डाला कि वह माउंटबेटन के साथ भारत भी जाने को तैयार हूं। इस सुझाव को दबा देना स्वाभाविक था क्योंकि भारतीय मामलों में क्रिप्स की स्थिति और अनुभवों से माउंटबेटन की स्थिति बिगड़ जाती और नये वाइसराय के लिए आवश्यक अधिकार या प्रतिष्ठा के साथ बातचीत करना प्रायः असंभव हो जाता । लंदन सोमवार १७ फरवरी १९४७ माउंटबेटन ने आग्रह किया कि उन्हें वाइसराय के सामान्य कर्मचारी- मंडल में वृद्धि करने की अनुमति दी जाय । उनका कहना था कि उनको पूर्व वाइसरायों को दिये जानेवाले चौथाई से भी कम समय में अभूतपूर्व राजनैतिक और संनिक महत्व के निणंय लेने का भार सौंपा गया है । लाडें वेवल के सामान्य सिविल सर्विस स्टाफ के छोग हालांकि बहुत प्रतिभाशाली और अनुभवी थे फिर भी उनसे बिना अन्य सहायता के काम पूरा कर ले जाने की उम्मीद करना असंभव था । मि. एटली ने तुरन्त वादा किया कि माउंटबेटन जिन कमेंचारियों की नियुक्ति चाहेंगे सरकार




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now