6वी शताब्दी में अवध के समाज एव संस्कृति के कतिपय पक्ष | Vi Shatabdi Me Awadh Ke Samaj Avam Sanskriti Ke Katipay Paksh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तत्पश्वात सन्‌ 1756 ईँ0 में अवध में. तृतीय नवाब शुजाउदौला गदुदी पर हैठै । नवाब शुजाउद्बैना की बक्सर की पराजपके बाद सच 1765 में औगजी ते रक संधि करनी पड़ी और वास्तव में इती संघि के पश्चात ही अवध राज्य का पतन प्रारम्भ हो गया और आर्थिक रूप से अवध दुर्बल होता पला गया। क्योकि इत संधि के अनुतार अध के नवाब गुजाउद्वी ला की 50 लाख रूपया युद्ध क्षति के स्प मे देना पढ़ा तथा इलाहा बाद मुगल बादशाह की देना पड़ा और अवध में एक अिज रेजीडिन्ट रखना स्वीकार करना पढ़ा । मेजर बडी के अनुतार तनु ।765 की संघि ते लेकर सन ।856 तक ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने अवध ते परचाल करीड रूपया प्राप्त किया था. । .. इस पुकार नवाब शुजाउद्वौला के ही काल से अजों का अवध मैं हीतिक्षेप बुत लगा जिसकी परिणति तघ्न॒ ।856 ईँ0 के शव के अधिग्रहण के ल्प मैंछनवा ब शंजाउधौला ने तन ।775 तक राज्य किया । ० नवाब शुजाउद्बौला के पश्चात उसका पुत्र नवाब आतफ्उद्वी ला तसु 1775 हँ0 मे अवध के नवाब बने । वध के प्रथम नवाब सआादत लाँ बुरहानुल्मूल्क ने आगरा के बाद भपनी राजधानी फैजाबाद की बनश्या थी । वे लखनऊ भी. आए थे उस समय लखनऊ गोमती नदी के तट का एक छौटा ला कत्डा थी. । नवाब बुरटानुल्मुल्त की धह जगह पसन्द आ गईं और उन्होनें कफ बाग लगवाय तथा. अनक महलो का भी मिर्माण करवापा । इन्हीनें कालाम्तर काने भाका निया पीकर बाकि का वि कक किाय किक पद फल जिक ेबन (नं बाकि बुक के कक कि डिश कि िजं पला धर पिपिएल (विधि पर कक कक सका केक किन विद कील चयन ला गए पं गत नं बाज न विकार कनेक्ट निहान बाय नि कील जन किन केक ही. कि _/ वर्मा पूर्रपूर्णानन्ट- वा जिद अली शाह और अवध राज्य का. पतन-88 2 तमा परिपूर्णानन्द- वा जिद अली शाह और शवध राज्य का पतन- 88 वर्मा परिपु्णा नन्द- वा जिद अली शीह 2र अवध राज्य को पतन- 88




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