दूरसंचार कथा | Durasanchar Katha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12.68 MB
कुल पष्ठ :
256
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
मोहन सुंदर राजन - Mohan Sundar Rajan
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लक्ष्मीनारायण गर्ग - Laxminarayan Garg
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)परमात्मा ने यह क्या बनाया है? अग्नि और धुएं के जरिए आदिम युगीन संकेतन के अनेक प्रमाण इतिहास में उपलब्ध हैं | टेलिस्कोप के आविष्कार से इस परंपरा में एक और नया आयाम जुड़ गया | आधुनिक संचार की दिशा में स्वयं फ्रांस की क्रांति (1789) ने पहला कदम उठाया | उस समय फ्रांस को तीव्र गति के संचार साधनों की आवश्यकता थी | क्लॉड चैप (1763-1805) नामक फ्रांसिसी इंजीनियर ने सन् 1791 में प्रकाशीय दूर संप्रेषण प्रणाली विकसित की । इस प्रणाली द्वारा दूरबीन का इस्तेमाल करके मीनारों से दिये गये कूट संदेश प्राप्त किये जा सकते थे । सन् 1794 में इसी प्रणाली द्वारा पेरिस और लिली को जोड़ा गया । शीघ्र ही इस प्रणाली को फ्रांस के अन्य भागों में तथा इंग्लैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका में लागू किया गया | सन् 1795 में एक अंग्रेज बिशप जॉर्ज मुरै ने लंदन में एडमिरल को पोर्ट्स माउथ से जोड़ने के लिए एक संकेत पद्धति स्थापित की जिसमें छह स्वतंत्र कपाट थे (चित्र-1) | इन कपाटों को भिन्न भिन्न ढंग से प्रचालित करके संकेतों के साथ अपेक्षित संकेत मिलाकर प्रेषित किये जा सकते थे | क्लॉड चैप के भाई इगनेस चैप ने सन् 1793 में सर्वप्रथम तार शब्द का प्रयोग किया जिसका अर्थ गति के संबंध में चरम सीमा से था । यद्यपि दूर संप्रेषण प्रणाली के क्षेत्र में गति की असली सीमा तक तो विद्युत्त की सहायता से ही पहुंचना संभव हो पाया | सन् 1809 में प्रोफेसर अलेसांद्रो वोल्टा ने रासायनिक प्रक्रिया द्वारा विद्युत उत्पादन को रिकार्ड किया । सन् 1819 में डैनिश वैज्ञानिक प्रोफेसर हांस क्रिश्वियन ऑर्स्टेंड (1777- 1851) ने इस बात की खोज की कि करेंट से चुंबकीय प्रभाव उत्पन्न होते हैं । जल्दी ही विद्युत चुंबक सामने आ गये | चुंबकों सूइयों और विद्युत ने विद्युतीय तार प्रणाली के प्रणेता अंग्रेजों को नये विचारों से कार्य करने के लिए प्रेरित किया । शुरू-शुरू में निर्मित विद्युत टेलीग्राफी में से एक का निर्माण जेनेवा में जॉर्ज लीसेज ने सन 1774 में किया | उन्हों ने प्रत्येक अक्षर के लिए अलग-अलग तारों का इस्तेमाल किया | बरोन पॉल शिलिंग (1768-1837) ने सन् 1832 में विद्युत्त करेंट में दिग्सूचक की विचलनकारी चुंबकीय सूइयों का प्रयोग किया और विद्युत चुंबकीय टेलीग्राफ (इलेक्ट्रोमैग्नेटिक टेलीग्राफ) विकसित
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