मांसभोजनविचार के तृतीय भाग का उत्तर | Maansabhojanavichar Ke Tritiya Bhag Ka Uttar

Maansabhojanavichar Ke Tritiya Bhag Ka Uttar by पं. भीमसेन शर्मा - Pt. Bhimsen Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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एड ंआकािलिकिक का समग्र 200 ३ भाग का चत्तर ॥ १ और लहां से गे उस तुकु को फिर चलाना नहीं होता वहां अन्त में पूरी तुक लिख देते हैं । इस नवस कायड के गले चतुर्ये सूक्त में भी यही बात है । सूल अयवे के पु- स्तक का जा लोग लौट पौट कर देखगे उन का यह नि- यम ठोक सालुम हो जायगा छठे कायल के उक्को शव प्रपा- ठक के इस तृतीय सूक्त में केवल नव मन्त्र हूं वन सब का यथाथे पाठ हम यहां पाठकों के वनाकना ये लिख देते हैं जिम से झनवृत्ति का नियम ज्ञात होगा । इष्ट च वा उप पत्तं च गहा- णामशनाति यः पवो5तिधेरशना- ति ॥३१। पयश्च वा उप रसं च७ ॥ ३२॥ ऊजा च वा उप स्फातिं च० ॥३३ ५ प्रजां च वा उष पशं- पूच५ ॥३४॥ कोति च वा उप य- शघ्च ॥३५। श़ियं च वा उप सं विदं च गह्ाणामशनाति यः पर्वों 5तिथरशनाति ॥३६। उप वा अ-




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