रसायन विज्ञान कक्षा XI - XII भाग 2 | Rasayan-vigyan Kaksha XI - XII Bhag II

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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50 स्मायन विज्ञान हे देर मदह कि उनियाजन की सर्वेलिवेस हकसाय हुओोराउ४ के साथ अभिक्या करने पर सी हि न मबसाफलजारों लॉटिनेंट (0 |] ने निमित हुआ | आीनॉनि तथा ऑविसीजन की प्रथम अयिनन जज के मान समान पवन के कोर यत सोचा सखी कि जीनान भी समान प्रकार को उत्पाद बना सबकी है । याद भविधवाणी बादलेट दाता) मे सन्‌ 1962 में जीनांन का यौगिक ऊट फटा बनाकर प्रमाधित की 1 उस राज से दूसरे ्कृप्ट मोसों के यौगिक का पता लगाने की प्रेरणा सिली । इसके तुर घाव ही जीनान के पलुआरीन के साथ अनेक पौशिके विरेखित किए गए । 53१ शत नन खिद िए 673क बह न 2 रा रा सर्करी ग्राकं से प्रकाश कै द्र्ः |. व | डर ३ अपन जन पारस. निममण पनसरप ना मय रद ए देन यौगिकों में आवस्धन सहसंयाजक है । इसमें इलेक्ट्रॉस का जीनॉन परमाणु के स्तर से खाली त-स्तर तक उन्नयन होता है । झत्पधिक 5च्च विद्युत-ऋणाह्मक फ्लुओरीन जीनॉन परमाणुओं में इलेक्ट्रॉनों के इस प्रकार के उन्तयन को प्रेर्ति करती है । जीनॉन डाइफ्लुजोराइड का अणु रेखिंक है जबकि जीनॉन टेट्राफ्लुओराइड एक वगें समसली झणु होता है (चित्र 12.1) । थ ् रा की का चित्र 121 शा था तट श्रणुझों को संरचनाएं हनन आन फ्रिप्ॉन तथा जीनॉन उत्कृष्ट गसों को जव जल के साथ संपीडित किया जाता है हाइड्रेट बनते हैं जिनमें प्रत्येक उत्कृष्ट गैस-परमाणु के लिए जल के 6 अणु होते हैं । ऐसा माना गया है कि इन यौगिकों में उत्कृष्ट गैस के परमाणु जल अणुओं के जाल में फंस जाते हैं । जल भ्रणु हाइड्रोजन बन्धन दौरा झापस में बस्धित रहते हैं । ऐसे यौगिकों को श्राविष्टन (८050८) यौगिक या बलेथूट (पंजर) यौगिक कहा जाता है ।




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