सफलता के मूल मंत्र | Safalta Ke Mul Mantra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भूलना सीखें सुखी रहें कहावत है कि वक्‍त बड़े से बड़ा घाव भर देता है। युवावस्था में कोई स्त्री विधवा हो जाती है तो उस पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता है। सामाजिक रीति-रिवाज तथा परम्पराएं उसे नारकीय जीवन जीने को मजबूर कर देती हैं। बुढ़ापे में किसी के पुत्र का पुत्र (पोता) मर जाता है पत्नी मर जाती है तो भगवान का कहर टूट पड़ता है। हाहाकार मच जाता है काफी दारुण स्थिति हो जाती है। अकाल बाढ़ भूकम्प सुनामी युद्ध बम विस्फोट आदि से भी व्यक्ति मौत को प्राप्त करता है जो क्षति अपूर्णीय होती है। परंतु धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य हो जाता है। ऐसा क्यों होता है? इसके पीछे भूलने की कला अथवा चमत्कार छुपा हुआ है। धीरे-धीरे व्यक्ति में सहनशक्ति धैर्य साहस का उदय तथा विकास होता है तथा जो घाव अधवा चोट उसे लगी थी उसका दर्द कम महसूस होने लगता है। फलत वह व्यक्ति घटना को भुलाना शुरू कर देता है तथा सामान्य क्रियाएं यथा खाना-पीना बोलना हंसना सोना सोचना योजनाएं बनाना आदि शुरू कर देता है। पुनर्विवाह भी भूलने की कला का चमत्कार ही है। अमेरिका के एक सुप्रसिद्ध डॉक्टर मेडीकल टॉक नामक पत्र में लिखते हैं कि वर्षों के अनुभव के बाद मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि दुःख दूर करने के लिए भूल जाओ से वढ़कर कोई दवा ही नही है। रोज-रोज जिन्दगी में छोटी-मोटी चिंताओ की लेकर उदास मत्त रहो इन्हें भूल जाओ उन्हे पोसो मत्त अपने दिल के अंदर उन्हें पाल कर मत्त रखो उन्हें अंदर से निकाल फेको और भूल जाओ उन्हें भुला दो। दूसरों के प्रति तुम्हारे मन में घृणा द्वेष ईर्ष्या दुर्भाव आदि के जो घाव हैं उनमें भीतर ही भीतर मवाद भर रहा है और यह मवाद बढ़ रहा है तथा यह तुम्हारे हो शरीर मन प्राण में जृहर फैला रहा है। क्यों न तुम इन तमाम भूलना सीखें सुखी रहे 15




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