त्रिकाल देव वन्दन विधि | Trikal Dev Vandan Vidhi

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Trikal Dev Vandan Vidhi by रतनचन्द कोचर - Ratanchand Kochar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पा सम मा ज्यूया- (१६ फ़िचइस्स चउनीम पि केयली ॥₹॥ उसममजिश्न च वेद समपममिणद्स च सम च । पउमप्पद सुपास जिस थे चदप्पह्द बंद 1२ सुरिर्दि च पुष्फदत सीसल पिज्स चासुपुर्त च । मिमलमणत च जिण धम्म॑ं सर्वि थे चदामि परे बुयु अर च म्ति वंदे मुणिसुम्वय नमि- जिय च ॥ चदामि रिड्रनेमिं पास तद चद्धमाण च ४01 एप मण समिुझा परिडुपरयमला पदीगजरमरणा । चउ- बीस पिं पिणवरा हित्थपरा में परसीयतु ॥५॥। फ़ितिय- चदिय-महिया ज ए लोगस्स उत्तमा सिद्धा । थारुगये दिलाभ समादिवर्युतम दिंतु ॥६॥ चदसु निम्मलयरा झइचेस भ्रद्िय पपासयरा । सागसमरगभीरा सिद्धा सिद्धि मम दिसतु 0७] बूज़ा कचरा समिकाल उसको दू्ना श्रौर उसम सचित्त पकेडिय जीव वा कलवर निकल तो शुरु से श्यालोयण लेना और श्रस जीव निरलें हो उसरी रक्षा दो वा रखना घौर ह्यापनाचायें के सामने उसी जगदद सड़े होवर फिर इच्छामि समापमणो वदिउ जामणिरजाण निसीदिभाएं मत्यएण पदामि इच्छाफारेश सदितह भगवस्‌ इरिपावदिय पढ़िक मामि इच्छ | इच्छामि पढिकमिउ इरियायहियाए पिराह-




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