शान्ति - पथ | Shanti Path
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.42 MB
कुल पष्ठ :
118
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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उसका रंग हरा मेरे नयनों को प्रकाश, हृदय को सान्सना और
च्यात्मी को सच्ची शान्ति देता हे ।
परमात्मा-पुरुष और उसकी माया-प्रकृति को हरा रंग बहुत
ही प्यारा है और हम दोनों को भी । ऐसा होना स्वाभाविक है
क्योंकि में तो परम पिता परमात्मा का अंश -जीचात्मा हूँ और
मेरी हरी साड़ी बाली-प्रमा, महदामाया प्रकृति का रूप है ।
बस इसीलिए सेंने हरे रंग को अपना जीवन साथी बना
लिया हे । में प्रत्येक वस्तु में हरे रंग को चाहता हूँ । हरे रंग
की शाक सब्जी अधिक खाता हूँ | होली पर भी हरे रंग का
प्रयोग करता हूँ । मेरा वस्त्र. रूमाल तथा पैन हरा होता है किवाड़ों
तथा खिड़कियों पर रोग़स थी प्राय: हरे रंग का फरवाता हूँ ।
क्या कहूँ !--हरे रंग को देखने के लिंए मेरी आँपें, बस
हर समय व्याकुल 'और लालायित रहती हें । इसीलिए प्रातः काल
उठते ही भ्रमण के लिए निकल जाता हूँ ओर प्रकृति के हरे रंग
को देखकर इन आँखों को ठप करता हूँ ।
एक बार में देहली गया. तो बहाँ से कमरबन्द भी हरे ही
लाया । जब प्रभा ने पुछा-- दोनी दी कमरवन्द हे से आये ।'
मेंने कहा--'रानी ! एक तुम्हारे पेटीकोट के लिए है । कहने
लगी--'औआप तो हरे रंग के बहुत ही शौक्रीन हो गए ।' मेंने
मुस्कुराकर कहा--'रानी ! तुम्हारी उस दिन की हरी साड़ी ने
मेरे हृदय-लोक को सदा के लिए हरा बना दिया है । अब मुझसे
हरा रंग दूर न किया जा सकेंगा। अब तुम्हें भी मेरी इस रुचि
को निभाना ही पढ़ेंगा ।
बह मुस्कुराती हुई बोलीं -'अच्छा स्वीकार । मैसी छाप
की इच्छा, बही मेरी । परन्तु संसार तो आपके विचारों के
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