कालिदास की लालित्य - योजना | Kalidas Ki Lalitya Yojana

Kalidas Ki Lalitya Yojana by हजारी प्रसाद द्विवेदी - Hazari Prasad Dwivedi

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हजारीप्रसाद द्विवेदी (19 अगस्त 1907 - 19 मई 1979) हिन्दी निबन्धकार, आलोचक और उपन्यासकार थे। आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का जन्म श्रावण शुक्ल एकादशी संवत् 1964 तदनुसार 19 अगस्त 1907 ई० को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के 'आरत दुबे का छपरा', ओझवलिया नामक गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री अनमोल द्विवेदी और माता का नाम श्रीमती ज्योतिष्मती था। इनका परिवार ज्योतिष विद्या के लिए प्रसिद्ध था। इनके पिता पं॰ अनमोल द्विवेदी संस्कृत के प्रकांड पंडित थे। द्विवेदी जी के बचपन का नाम वैद्यनाथ द्विवेदी था।

द्विवेदी जी की प्रारंभिक शिक्षा गाँव के स्कूल में ही हुई। उन्होंने 1920 में वसरियापुर के मिडिल स्कूल स

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भ्राज संसार के मनीषी कालिदास की इस महिमा को स्वीकार करते हैं । राजदेखर ने काव्यमीमांसा में तीन प्रकार के कवियों की चर्चा की है--कुछ ऐसे होते हैं जिनकी कविता श्रपने घर तक ही सीमित रह जाती है, कुछ ऐसे होते हैं जितनी रचना मित्रमण्डली तक पहुँच जाती है, परन्तु ऐसे कृती कवि थोड़े ही होते हैं जिनकी कविता सभी के मुखों पर पदन्य्प्स करती हुई विश्व-कुतूहली की भाँति दुनिया भर में फेल जाती है-- एकस्य तिष्ठति कवेग हू एवं काव्यमनस्य गच्छति सुहद्मवनानि यावत्‌ न्यस्याविदग्धवदनेष पदानि दाइवत्‌ कस्यापि संचरति विदवकुतुहलीव । कालिदास की कविता ऐसी ही है। वह श्राज सारे संसार के सहदयों को मुग्ध बना रही है पर यह नहीं भुला जा सकता कि. उसमें भारतवर्ष का. जो-कुछ सर्वोत्तम है उसी का स्वर गूंज रहा है । ाष्टीय कथि कालिदास श्र




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