महाकवि हरिचन्द्र एक अनुशीलन | Mahakavi Harichandra Ek Anushilan

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Mahakavi Harichandra Ek Anushilan  by पं पन्नालाल जैन साहित्याचार्य - Pt. Pannalal Jain Sahityachary

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषय-स्चची प्रयस अध्याय स्तम्भ १ * आधारभूमि ३-२० १ काव्यघारा, २ महाकवि हरिचम्द्र--व्यक्तित्व और कृतित्व, ३. अभ्युदयनामान्त काव्यो की परम्परा, ४ महाकाव्य--परिभाषा- नुसत्घान । स्तम्भ २ : कथा भ २१-४३ ५. घर्मशर्माम्युदय की कथा का आधार, ६ जीवन्घरचम्पू की कथा का माघार, ७ धर्मशर्माम्युदय का आख्यान, ८ जीवन्घरचरित का तुलनात्मक अध्ययन, ९ जीवन्धरचम्पू के प्रमुख पात्रों का चरित्र- चित्रण । द्वितीय अध्याय स्तम्भ १. साहित्यिक सुषमा डर ७-८ १० धर्मशर्माम्युदय की. काव्य-पीठिका, ११ धर्मशर्माम्युदय का काव्य-वैभव, १२ जीवन्घरचम्पू की काव्यकला, १३ जीवस्थरचम्पू का उस्प्रेक्षा-लोक, १४ धर्मदार्माम्युदय का रस-परिपाक, १५ जीवन्घर- चम्पू का रस-प्रवाह, १६. जीवन्घरचम्पू का विप्रलम्भ श्यगार और प्रणय-पत्र, १७ जीवस्थरचम्पू में शान्त रस की पावन धारा, १८ धर्मशर्माम्युदय में छन्दो की रसानुगुणता, १९ जीवन्धरचम्पू में छस्दो- योजना । ५७ रि]|




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