राजपूताने का इतिहास भाग 1 (जिल्द चौथा) | Rajputane ka Itihas Bhag 1 Vol.4
श्रेणी : इतिहास / History, भारत / India
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11.71 MB
कुल पष्ठ :
570
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्र
कर जनशुति के श्राघार पर चहुतसी वातें लिख डाली हैं, जो निराधार
होने के कारण कात्पानिंक ही ठद्दरती हैं । साथ दी राज्य के झाशय में
लिखी जाने के फारण इसमें दिये हुए चटुतसे चुन पक्चपातपूर्ण एव
पकागी हैं । फलस्वरूप उनसे कई घटनाओं पर वास्तविक प्रकाश नहीं
पडता । पहले विस्दत इतिदास लिखने की परिपाटी न थी। केवल राजाओं,
उनकी राशियों, कुवरों एव कुचरियों के नाम दी वहुधा सग्रहों में लिखे
जाते थे । इन नामों के सम्रह अब भी यदियों के रूप में मिलते हैं,
पर उनमें दिये हुए सभी नाम ठीक हों ऐसा देखने में नददीं श्याया । मिन्नः
मिन्न सम्रहों में पक दी शज्ञा के कुवरों के नामी में चहुत मिन्नता पाई
जावी है । पीछे से विस्तृत इतिदास लिखने की शोर लोगों का मुकावब
दोने पर उन्होंने पदले के नामों के साथ कई काटपनिक छुतान्त बढ़ा
दिये । यही कारण है कि झन्य स्यातों झादि के समान इस य्यात का
्ारम्भिक वर्णन भी कडिपत बातों से दी भरा पड़ा है । म्यात लेसक का
ज्ञान कितना कम था, यद्द इसी से स्पट हे कि राव सीदा की एक राणी
पार्वसी श्रौर उससे य हुत पीछे दोनेवाले राव रणमला की राणी कोडमदे सथा
जोथा की पुनी श्टगारदेवी के नाम तक उसे ज्ञात न थे । यद्दी दाल ख़्यात में
दिए हुए बहुतसे सचतों का दे । जब वास्तविक इतिहास से दी स्यात-
लेसक छानमिश्ञ थे, तो भला सद्दी सबत् थे कददा से लाते * थट्दी कारण हे
कि पूर्व के राजाझों के कटिपत घुतान्तों के समान दी स्यात में दिये हुए
उमके जन्म, गद्दीनशीनी, सृत्यु झादि के सबत् भी कटिपत दो दैं। राव सीद्दा
धर राव घूद्दड के खुत्यु स्मारकों के मिल जाने से झच इस घिपय में जस
भी सन्देदद नहीं रद्द ज्ञाता कि राव जोधा से पूर्व के र्यात में दिये हुए सबत्
पूर्णतया शुद्ध हैं! 'छागे के राजाओं के सवत् भी कई्दी कद्दीं दूसरी स्यातों
झादि से मेल नदी ख्राते। फिर भी जद्दा तक ज्ञोघपुर राज्य के इतिहास का
सम्चन्ध दै इस स्यात की झवदेलना नदी की जा सकयी, क्योंकि यद्द बहुत
विस्तार के साथ लिंसी डुई है ।
ठीसरी पुस्तक झधोत् द्यालदास की ण्यात की पदली जिटद दी
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